ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के सफल मिशन के बाद भारत लौट आए हैं। गुरुवार को दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने अपने अंतरिक्ष अनुभवों के बारे में बताया। इस दौरान उनके साथ इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह भी मौजूद थे।
शुभांशु शुक्ला ने कहा कि मैं सरकार और इसरो का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं कि मुझे इस मिशन का हिस्सा बनने का मौका मिला। उन्होंने गगनयान मिशन का भी जिक्र किया, जो इसरो का ह्यूमन स्पेस मिशन है। इस योजना के तहत 2027 तक वायुसेना के तीन पायलट्स को स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
अंतरिक्ष में अनुभव अद्भुत
दिल्ली में मीडिया सेंटर में उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में शरीर 3-4 दिन में अनुकूल हो जाता है। “यह मिशन कई स्तरों पर सफल रहा। एक्सोम मिशन का अनुभव किसी ट्रेनिंग से कहीं अधिक रोमांचक है। चाहे जितनी भी ट्रेनिंग की जाए, रॉकेट में बैठते ही अनुभव अविश्वसनीय होता है। शरीर में कुछ बदलाव आते हैं, लेकिन यह सब सामान्य है और शरीर खुद को एडजस्ट कर लेता है। इस तरह के मिशन का हिस्सा बनना एक अलग ही अनुभव है,” शुभांशु ने बताया।
भारत की खूबसूरती अंतरिक्ष से भी दिखाई देती है
शुभांशु ने कहा कि आज बच्चों में एस्ट्रोनॉट बनने का जुनून बढ़ रहा है। “मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं अंतरिक्ष यात्रा करूंगा, लेकिन अगर सपने देखेंगे तो उन्हें साकार किया जा सकता है। भारत अंतरिक्ष से आज भी बेहद खूबसूरत दिखता है।”
केंद्रीय मंत्री का संदेश
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पिछले कुछ वर्षों में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नई रणनीतियां बनाई गई हैं। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र की वर्तमान अर्थव्यवस्था 8 मिलियन अमेरिकी डॉलर की है, जो भविष्य में 45 मिलियन तक बढ़ने की संभावना है। पीएम के निर्देश पर लोगों को लॉन्च इवेंट देखने का अवसर भी उपलब्ध कराया गया, जिससे जनता का अंतरिक्ष में बढ़ता रुझान स्पष्ट होता है।
इसरो अध्यक्ष ने दिए हाल के आंकड़े
इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में दक्षिण एशियाई सैटेलाइट का निर्माण और प्रक्षेपण किया गया और इसे दक्षिण एशियाई देशों को समर्पित किया गया। इसके अलावा, जी-20 देशों के लिए जी-20 सैटेलाइट का निर्माण भी इस दौरान किया गया। उन्होंने बताया कि 10 साल पहले भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र में केवल एक स्टार्टअप था, जबकि आज इस क्षेत्र में 300 से अधिक स्टार्टअप काम कर रहे हैं।