दिल्ली में मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने संयुक्त रूप से मीडिया से बातचीत की। इस दौरान शुक्ला ने कहा कि भारत जल्द ही अपने स्वयं के रॉकेट और कैप्सूल के जरिए अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसरो दिसंबर तक गगनयान का पहला परीक्षण मिशन लॉन्च करेगा।
अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव साझा
शुभांशु शुक्ला ने अपनी ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा के अनुभव भी साझा किए। उन्होंने बताया कि 20 दिन अंतरिक्ष में रहने के बाद शरीर गुरुत्वाकर्षण का आदी होना भूल जाता है और धरती पर लौटने के बाद दोबारा ढलना पड़ता है।
उन्होंने एक्सिओम मिशन का भी ज़िक्र किया, जिसके तहत वे दो सप्ताह तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में मिशन पायलट और कमांडर की जिम्मेदारी निभा रहे थे। शुक्ला ने कहा कि आईएसएस पर कई प्रयोग किए गए और अंतरिक्ष से जुड़ी अहम तस्वीरें ली गईं। इस दौरान उन्होंने लंबी ट्रेनिंग भी पूरी की थी। इसे उन्होंने अपने जीवन का सबसे अलग और यादगार अनुभव बताया।
गगनयान मिशन की तैयारी
शुक्ला ने आगे बताया कि गगनयान इसरो का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसके तहत वर्ष 2027 में भारतीय वायुसेना के तीन पायलटों को 400 किलोमीटर ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में तीन दिन के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद उनकी सुरक्षित लैंडिंग हिंद महासागर में कराई जाएगी। इस महत्वाकांक्षी मिशन की लागत करीब 20,193 करोड़ रुपये है।
उन्होंने कहा कि मिशन की तैयारी के लिए पहले दो मानवरहित परीक्षण उड़ानें होंगी, फिर एक फ्लाइट में रोबोट भेजा जाएगा। इन सबकी सफलता के बाद ही अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने का अंतिम चरण पूरा किया जाएगा। बातचीत के अंत में उन्होंने कहा—भारत अंतरिक्ष से देखने पर भी सबसे सुंदर लगता है।
मोदी सरकार में तेज़ हुई अंतरिक्ष प्रगति: इसरो प्रमुख
कार्यक्रम में इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अंतरिक्ष यात्रा को नई गति मिली है। उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने दक्षिण एशियाई उपग्रह बनाकर सदस्य देशों को समर्पित किया था और जी20 देशों के लिए भी सैटेलाइट तैयार किया।
नारायणन के अनुसार, दस साल पहले देश में सिर्फ एक स्पेस स्टार्टअप था, जबकि आज 300 से अधिक स्टार्टअप अंतरिक्ष क्षेत्र में सक्रिय हैं। निजी कंपनियां अब तक दो सब-ऑर्बिटल मिशन सफलतापूर्वक पूरा कर चुकी हैं। इससे साफ है कि भारत की स्पेस इकोनॉमी लगातार आगे बढ़ रही है और आने वाले समय में इसमें और विस्तार होगा।
नासा-इसरो सहयोग
इसरो प्रमुख ने बताया कि 30 जुलाई को जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट ने नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया। यह उपग्रह सुचारू रूप से काम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि अगले दो से तीन महीनों में भारत अपने लॉन्च व्हीकल से 6,500 किलो का अमेरिकी संचार उपग्रह भी प्रक्षेपित करेगा। नारायणन के मुताबिक, ऐसा सहयोग न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसरो की बढ़ती क्षमता और विश्वसनीयता को भी दर्शाता है।