अमेरिकी टैरिफ पर चीन ने जताया विरोध, भारत के साथ सहयोग बढ़ाने पर दिया जोर

चीन के विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा के अगले ही दिन चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ (शुल्क) का विरोध किया और भारत-चीन साझेदारी को और मजबूत करने की बात कही। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भारत पर 50 फीसदी तक टैरिफ लगाया है और इससे अधिक की धमकी भी दी है। चीन इसका कड़ा विरोध करता है। शू ने कहा कि चुप रहना केवल दबाव बनाने वालों को और ताकत देता है, जबकि चीन भारत के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा।

“भारत-चीन एशिया की प्रगति के दो इंजन”

राजदूत शू ने कहा कि चीन एकतरफा व्यापारिक दबावों के खिलाफ भारत के साथ है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन का सहयोग न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक प्रगति के लिए भी अहम है। दोनों देशों की एकता एशिया के आर्थिक विकास को गति देने के साथ-साथ पूरी दुनिया को भी लाभ पहुंचाएगी। शू ने जोर दिया कि भारत और चीन की जिम्मेदारी है कि संतुलित और समानता-आधारित बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को बढ़ावा दें।

“भारतीय उत्पादों के लिए चीनी बाजार खुला”

शू फेइहोंग ने कहा कि दोनों देशों के बीच भरोसे को बढ़ाना जरूरी है। रणनीतिक स्तर पर परस्पर विश्वास और सहयोग को आगे बढ़ाना चाहिए तथा अनावश्यक संदेहों से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत और चीन प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि साझेदार हैं। चीन भारत के साथ रणनीतिक सहयोग को और विस्तार देना चाहता है और भारतीय वस्तुओं का चीनी बाजार में स्वागत करता है।

सीमा विवाद पर वार्ता और सहमतियां

शू का यह बयान ऐसे समय आया है जब 19 अगस्त को भारत-चीन सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधियों की 24वीं बैठक हुई। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी शामिल हुए। वांग यी ने 18 अगस्त को विदेश मंत्री एस. जयशंकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी भेंट की थी।

राजदूत ने बताया कि हालिया वार्ताओं में दोनों पक्षों के बीच 10 अहम सहमतियां बनीं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने 23वीं बैठक के बाद हुई प्रगति और कजान (रूस) में शीर्ष नेताओं के बीच बनी सहमति को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। साथ ही सीमा पर शांति बनाए रखने और बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने की प्रतिबद्धता दोहराई, ताकि भारत-चीन संबंधों का व्यापक विकास संभव हो सके।

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