अब पुश्तैनी जमीन से जुड़े भू-मानचित्र हासिल करना पहले से सरल होगा। अगर पुराना मानचित्र नष्ट या अनुपलब्ध है, तो उसे दोबारा तैयार कर तहसीलों में सुरक्षित रखा जाएगा और जरूरत पड़ने पर आवेदकों को उसकी प्रति दी जाएगी। इस संबंध में राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव एस.वी.एस. रंगाराव ने सभी जिलाधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
निर्देशों के अनुसार तहसील और जिला स्तर पर राजस्व अभिलेखागार, बंदोबस्त अधिकारी और सहायक अभिलेख अधिकारी के कार्यालयों में मानचित्रों की खोजबीन कर उन्हें संरक्षित किया जाएगा। यदि मानचित्र गायब या जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पाया जाता है तो इसकी जांच कराई जाएगी और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी। साथ ही इस स्थिति की रिपोर्ट राजस्व परिषद को भेजनी होगी।
जिन ग्रामों के भू-मानचित्र तहसील, जिला या परिषद स्तर पर उपलब्ध नहीं हैं, उनके लिए प्रयागराज स्थित निदेशक मुद्रण एवं लेखन सामग्री कार्यालय से संपर्क कर मानचित्र प्राप्त करने का प्रयास किया जाएगा। यदि वहां भी रिकॉर्ड नहीं मिलता तो संबंधित ग्रामों के लिए नए भू-मानचित्र तैयार कराए जाएंगे। इन्हें सुरक्षित रखा जाएगा और नागरिकों की मांग पर उपलब्ध कराया जाएगा।