बिहार की एक किशोरी को पिता की डांट और थप्पड़ इतना नागवार गुजरा कि उसने घर छोड़ दिया। लेकिन घर से बाहर निकलने का यह कदम उसके लिए खौफनाक साबित हुआ। रास्ते में वह गलत हाथों में पड़ गई और उसके साथ दुष्कर्म की वारदात हुई। अब बेटी को खोने के ग़म में पिता का रो-रोकर बुरा हाल है।
बेटी से मिलकर छलक पड़े आंसू
पीड़िता के पिता का कहना है कि यदि उन्हें यह अंदाजा होता कि डांट से बेटी ऐसा कदम उठा लेगी तो वे कभी सख्ती नहीं करते। बेटी एक महीने से घर से गायब थी। इसी दौरान मुरादाबाद से बाल कल्याण समिति का फोन आया तो वे तुरंत वहां पहुंच गए। बृहस्पतिवार को वन स्टॉप सेंटर में बेटी से मुलाकात हुई तो पिता भावुक हो उठे और उसे गले लगाकर बोले—“क्या तुम्हें डांटने का भी हमें हक़ नहीं है?” समिति ने बताया कि कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद सोमवार तक किशोरी को परिजनों को सौंप दिया जाएगा।
मुंबई में करते हैं मजदूरी
मधुबनी (बिहार) निवासी पिता मुंबई में दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। उनके चार बेटियां और एक बेटा है। पीड़ित किशोरी दूसरे नंबर पर है। एक माह पहले वे बेटे का मुंडन कराने घर आए थे। इसी दौरान पत्नी ने बताया कि बेटी इंस्टाग्राम पर किसी युवक से बातचीत करती है। इस पर पिता ने नाराज़ होकर उसे डांटा और थप्पड़ भी जड़ दिया। कुछ दिन बाद, पिता के मुंबई लौटने के तुरंत बाद, किशोरी घर छोड़कर ट्रेन से दिल्ली पहुंच गई। वहां सचिन नामक युवक ने उसे अपने साथ बहला-फुसलाकर मुरादाबाद ले जाकर बंधक बना लिया।
विशेषज्ञों ने जताई चिंता
मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. अनंत राणा का कहना है कि आजकल बच्चों में सहनशीलता की कमी देखी जा रही है। सोशल मीडिया इसका बड़ा कारण है, जहां किशोर अंजान लोगों को अपना मान बैठते हैं। ऐसे मामलों में दवाओं से ज्यादा काउंसिलिंग प्रभावी रहती है। अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों की सोशल मीडिया गतिविधियों पर सतर्क निगरानी रखें।