भारत की सख्त कार्रवाई और ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान पर दबाव साफ दिखने लगा है। इसका उदाहरण शुक्रवार को उस समय मिला, जब पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने भारत से संवाद की अपील की। इस्लामाबाद में संसद भवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए डार ने कहा कि पाकिस्तान कश्मीर सहित सभी लंबित मुद्दों पर भारत के साथ व्यापक वार्ता के लिए तैयार है।
डार ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं चाहता। उन्होंने कहा कि यदि किसी तटस्थ स्थान पर बैठक का प्रस्ताव आता है, तो इस्लामाबाद बातचीत के लिए तैयार है।
भारत का साफ संदेश
भारत पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि पाकिस्तान से जुड़ा विवाद पूरी तरह द्विपक्षीय है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं होगी। साथ ही भारत ने वार्ता की शर्त भी साफ कर दी है—बातचीत केवल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की वापसी और आतंकवाद पर ही होगी।
अमेरिका से आया युद्धविराम का संदेश
डार ने दावा किया कि उन्हें अमेरिका से भारत के साथ युद्धविराम को लेकर फोन आया था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान युद्ध नहीं चाहता और इस बारे में उन्होंने अमेरिकी पक्ष को अपनी स्थिति बता दी है।
कैसे बढ़ा तनाव?
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के महज 15 दिन बाद, भारतीय सेना ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में स्थित नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था। इस कार्रवाई में कई कुख्यात आतंकी भी मारे गए। इसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव चरम पर पहुंच गया।
बताया गया कि पाकिस्तान की ओर से भारतीय शहरों को निशाना बनाए जाने की कोशिश हुई, लेकिन भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने उन्हें विफल कर दिया और जवाबी कार्रवाई में 14 पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने ध्वस्त कर दिए गए। हालात बिगड़ने के बाद पाकिस्तान ने 10 मई को भारत के समक्ष युद्धविराम का प्रस्ताव रखा, जिसे आपसी चर्चा के बाद लागू किया गया।