बिहार विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की राजनीति में कई नए रंग देखने को मिल रहे हैं। इंडिया गठबंधन की ओर से एसआईआर के विरोध में आयोजित वोटर अधिकार यात्रा में भी कई दिलचस्प घटनाक्रम और बातचीत सामने आए हैं। आगामी चुनाव को देखते हुए पुराने मतभेदों को भुलाकर नए राजनीतिक समीकरण बनाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव और आरजेडी अध्यक्ष तेजस्वी यादव के बीच दूरी कम होती दिखाई दे रही है।
समय की परिस्थितियां या राजनीतिक मजबूरी, जो भी हो, राहुल गांधी ने तेजस्वी और पप्पू को एक-दूसरे के करीब लाने में सफलता हासिल कर ली है। 2024 के लोकसभा चुनाव में पूर्णिया सीट पर पप्पू यादव के पक्ष में आरजेडी ने समर्थन देने से इनकार किया था और अपना उम्मीदवार उतारा था। इसके बाद पप्पू यादव निर्दलीय सांसद बने और कांग्रेस का झंडा उठाया। अब यह काम लगभग सफल होता दिखाई दे रहा है।
पटना में हाल ही में चुनाव आयोग के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को राहुल गांधी के साथ मंच पर नहीं चढ़ने दिया गया था। उस समय पप्पू यादव का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। हालांकि अब पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को कांग्रेस और आरजेडी दोनों ने स्वीकार कर लिया है। वोटर अधिकार यात्रा के दौरान पूर्णिया में राहुल की कार पर तेजस्वी यादव के साथ पप्पू यादव भी नजर आए और उन्होंने भाषण भी दिया।
वोटर अधिकार यात्रा में तेजस्वी यादव ने पप्पू यादव का स्वागत करते हुए कहा कि उनका अररिया की धरती पर स्वागत है। इसके बाद पप्पू यादव ने भाषण में तेजस्वी यादव को ‘जननायक और भाई’ करार दिया और कहा कि तेजस्वी फरत और आतंक के खिलाफ काम कर रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनावों में गठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया गया है। राहुल गांधी ने इस चुनाव का हवाला देते हुए पप्पू यादव और तेजस्वी के बीच दूरी मिटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राहुल ने तेजस्वी को स्पष्ट संदेश दिया कि मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्हें अधिक से अधिक नेताओं को जोड़ना होगा और किसी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यही बात तेजस्वी को मान्य लगी और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया।