कर्नाटक के धर्मस्थल मंदिर से जुड़े विवाद ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने रविवार को कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए इसे “हिंदू आस्था पर सुनियोजित प्रहार” करार दिया और राज्य सरकार को लापरवाह रवैये का जिम्मेदार ठहराया।
“मंदिर को 15 दिन का मीडिया तमाशा बनाया गया”
सोशल मीडिया मंच एक्स पर प्रह्लाद जोशी ने लिखा कि धर्मस्थल मंदिर से संबंधित मुद्दे को जानबूझकर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया ताकि मंदिर की छवि खराब की जा सके। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने तथ्यों की पुष्टि किए बिना विवाद को हवा दी और टूलकिट का इस्तेमाल कर एक प्राचीन मंदिर को 15 दिनों तक मीडिया सुर्खियों में बनाए रखा।
“आस्था को ठेस, सरकार ने नहीं दिखाई जवाबदेही”
जोशी ने कहा कि अपुष्ट दावे, नकाबपोश व्यक्तियों और प्रायोजित यूट्यूबर्स की मदद से मंदिर की गरिमा को ठेस पहुंचाई गई। उनके मुताबिक, आस्था निजी हो सकती है लेकिन शासन में जवाबदेही और सतर्कता जरूरी है, जो इस मामले में नहीं दिखाई गई। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह विवाद किसी के इशारे पर खड़ा किया गया था, जब सबूत बढ़ रहे थे तो सरकार ने समय पर कार्रवाई क्यों नहीं की, और इस कथित टूलकिट के जिम्मेदारों को जवाबदेह कब ठहराया जाएगा। उन्होंने निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
धर्मस्थल विवाद तब शुरू हुआ जब सीएन चिन्नैयाह नामक व्यक्ति ने दावा किया कि मंदिर में महिलाओं के साथ यौन शोषण कर उनके शव दफनाए गए हैं। हालांकि पुलिस ने बाद में जांच के आधार पर उसे झूठी गवाही के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
सरकार और मंदिर प्रबंधन की प्रतिक्रिया
भाजपा ने इस विवाद में मंदिर को निशाना बनाने का विरोध किया। वहीं, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर शिकायत झूठी पाई गई तो कड़ी कार्रवाई होगी। मंदिर के धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े ने विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का स्वागत किया और निष्पक्ष जांच की उम्मीद जताई।