नई दिल्ली। राजधानी में 18 साल की एक युवती की जिंदगी कुछ गोलियों ने छीन ली। घर में पूजा के चलते मासिक धर्म रोकने के लिए उसने हार्मोनल दवाइयाँ खाईं, जिसके बाद वह डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) की गंभीर स्थिति में पहुँच गई। दुर्भाग्यवश, समय रहते इलाज न मिलने पर आधी रात को उसकी मौत हो गई।
वैस्कुलर सर्जन डॉ. विवेकानंद ने इस घटना का ज़िक्र अपने पॉडकास्ट ‘रीबूटिंग द ब्रेन’ के 14 अगस्त के एपिसोड में किया। इस दौरान वे न्यूरोसर्जन डॉ. शरण श्रीनिवासन के साथ डीवीटी के खतरों पर चर्चा कर रहे थे।
डॉ. विवेकानंद ने बताया कि युवती अपने दोस्तों के साथ उनकी क्लिनिक पहुँची थी। उसे पैर और जांघ में सूजन के साथ तेज दर्द हो रहा था और वह काफी बेचैन थी। स्कैन में पाया गया कि उसकी नसों में खून का थक्का जम चुका है, जो नाभि तक पहुँच गया था। डॉक्टर ने परिजनों से तत्काल भर्ती करने को कहा, लेकिन पिता ने यह कहते हुए मना कर दिया कि अगले दिन माँ लेकर आएगी।
कुछ ही घंटों बाद रात करीब 2 बजे लड़की को इमरजेंसी में लाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों के अनुसार, डीप वेन थ्रोम्बोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें पैरों की गहरी नसों में रक्त का थक्का जम जाता है और यह फेफड़ों तक पहुँचकर जानलेवा साबित हो सकता है।