केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर विपक्षी रुख को लेकर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि विपक्ष के लोग अब भी यह मानते हैं कि अगर उन्हें जेल जाना पड़ा, तो वे जेल से ही सरकार चला सकते हैं। शाह ने स्पष्ट किया कि किसी भी मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या मंत्री को जेल में रहते हुए शासन चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
शाह ने बताया कि मानसून सत्र में पेश किए गए इस विधेयक के तहत यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गंभीर अपराधों में 30 दिन से अधिक समय तक जेल में रहे और उन्हें जमानत नहीं मिले, तो उन्हें अपने पद से हटाया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह संशोधन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर लाया गया और इसका उद्देश्य लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखना है।
गृह मंत्री ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा और पूछा कि लालू यादव को बचाने के लिए मनमोहन सिंह की ओर से लाए गए अध्यादेश को फाड़ने का राहुल गांधी का क्या औचित्य था। शाह ने कहा कि संविधान संशोधन का विरोध लोकतंत्र में स्वीकार्य है, लेकिन चर्चा और बहस के माध्यम से ही इसे पारित किया जाना चाहिए।
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर शाह ने कहा कि उनके इस्तीफे का कारण निजी स्वास्थ्य समस्याएं थीं और उन्होंने संवैधानिक रूप से अच्छा काम किया।
संसद में CISF की तैनाती पर अमित शाह ने कहा कि सुरक्षा केवल अध्यक्ष के आदेश पर ही लगाई जाती है और कुछ विपक्षी दल जनता में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने विपक्ष की तीन बार की चुनाव हार के बाद की हताशा पर भी टिप्पणी की।
शाह ने बी. सुदर्शन रेड्डी के उपराष्ट्रपति पद पर चर्चा करते हुए कहा कि उनके फैसलों के कारण नक्सलवाद लंबे समय तक चला और वामपंथी विचारधारा इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही।