केंद्र सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल, बिरसा मुंडा और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती को भव्य रूप से मनाने के लिए तीन अलग-अलग उच्च स्तरीय समितियों का गठन किया है। इन समितियों की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। संस्कृति मंत्रालय की ओर से 25 अगस्त को जारी अधिसूचनाओं के बाद यह जानकारी सामने आई।
सरदार पटेल और बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती तथा अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इनमें संगोष्ठियां, प्रदर्शनियां, सांस्कृतिक आयोजन और युवाओं को केंद्र में रखकर विशेष गतिविधियां शामिल होंगी। सरकार का कहना है कि इन महापुरुषों की प्रेरणादायी जीवन यात्रा और योगदान को नई पीढ़ी तक पहुँचाना इसका मुख्य उद्देश्य है। समितियों में वरिष्ठ मंत्रियों, राज्यों के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों को शामिल किया गया है।
पटेल की जयंती पर विशेष आयोजन
31 अक्टूबर 1875 को जन्मे सरदार पटेल को स्वतंत्र भारत का पहला गृहमंत्री और ‘लौहपुरुष’ के रूप में याद किया जाता है। उनकी 150वीं जयंती पर बनने वाली समिति राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रमों का संचालन करेगी। गुजरात में स्थित “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” उनकी ऐतिहासिक भूमिका और व्यक्तित्व का प्रतीक है।
बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती
ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष करने वाले आदिवासी नेता बिरसा मुंडा को ‘धरती आबा’ के नाम से जाना जाता है। उनकी 150वीं जयंती पर गठित समिति उनके विचारों और संघर्ष को व्यापक स्तर पर प्रचारित करेगी ताकि आदिवासी समाज और उनके योगदान को उचित मान्यता मिले।
अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी
पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की जन्म शताब्दी पर भी एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई है। तीन बार प्रधानमंत्री बने वाजपेयी के नेतृत्व में 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण हुआ था, जिसने भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत किया। वे अपनी राजनीतिक दूरदृष्टि और काव्यात्मक अंदाज के लिए भी जाने जाते हैं।
समितियों का महत्व
सरकार का मानना है कि इन समितियों की गतिविधियां राष्ट्रीय एकता, आदिवासी गौरव और लोकतांत्रिक मूल्यों को नई ऊर्जा देंगी। आयोजनों के जरिए नागरिकों को महापुरुषों के आदर्शों और योगदान से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।