समाजवादी पार्टी से निकाली गई विधायक पूजा पाल ने पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को एक और पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि सपा के संरक्षण में पनप रहे माफिया और गुंडों से उनकी जान को खतरा है। उन्होंने लिखा कि उनके पति की हत्या सपा सरकार के दौरान हुई थी और अब उन्हें आशंका है कि वही ताकतें उनकी हत्या करा सकती हैं। पूजा पाल ने साफ किया कि उन्हें भाजपा नेताओं से कोई खतरा नहीं है और उन्होंने हमेशा जोखिम उठाकर ही जीवन जिया है।
पति के हत्यारों को चुनाव मैदान में उतारने का आरोप
पत्र में पूजा ने कहा कि सपा ने उनके पति की हत्या के आरोपी अतीक अहमद के भाई अशरफ को लगातार तीन चुनावों में टिकट दिया। जब उन्हें सहारे की जरूरत थी, तब सपा ने उन्हीं हत्यारों को उनके खिलाफ चुनाव में उतारा। हालांकि जनता और पाल समाज ने उनका साथ दिया और उन्हें हराया।
“मंत्री पद की महत्वाकांक्षा नहीं, न्याय पाना मकसद था”
अखिलेश यादव के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पूजा ने लिखा कि उनकी कोई मंत्री पद की महत्वाकांक्षा नहीं है। उनका उद्देश्य सिर्फ पति के हत्यारों को सजा दिलाना था। उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने उन्हें न्याय दिलाया, जबकि सपा अब भी अपराधियों को बढ़ावा दे रही है, जिसे आने वाली पीढ़ियां माफ नहीं करेंगी।
क्रॉस वोटिंग नहीं, अतीक का नाम लेने पर हुआ निष्कासन
अपने निष्कासन को लेकर पूजा ने लिखा कि यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के कारण उन्हें निकाला गया, जबकि असल वजह यह थी कि उन्होंने सदन में अतीक अहमद का नाम लिया था। सपा अपराधियों की आलोचना सहन नहीं कर सकी। इसके चलते अतीक अहमद के परिवार का मनोबल बढ़ा है और इसी कारण उन्हें जान का खतरा है।
पीडीए फॉर्मूले पर तंज
पूजा ने सपा के पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) फार्मूले पर भी कटाक्ष किया और कहा कि अखिलेश इसका अर्थ बार-बार बदलते रहते हैं। उन्होंने सपा प्रदेश अध्यक्ष द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजे पत्र का जिक्र करते हुए खुद भी जांच की मांग की। साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि सपा सरकार में कितने अति पिछड़ों को मंत्री बनाया गया था। उनके मुताबिक, उस समय प्राथमिकता केवल अपने समाज और मुस्लिम समाज को दी गई थी, जबकि अति पिछड़ों को “जूठन जैसा सम्मान” मिला।