मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था, जो अब हो रहा है। हमारा तात्पर्य बिजली आपूर्ति की कुव्यवस्था से है। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी जी ने जो कार्य प्रमुखता से किये, उनमें माफियाओं के दमन और बिजली उत्पादन, वितरण व्यवस्था को सुधारना था। इसका सुपरिणम सामने आया। माफियाओं पर नियंत्रण की मिसाल दूसरे राज्यों में दी जाने लगी।
विद्युत व्यवस्था में पर्याप्त सुधार के बाद, इसमें आई अचानक गिरावट से नगरीय व ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं के साथ उद्यमी और कारखानेदार रोज-रोज की बिजली कटौती और ट्रिपिंग से आजीज आ चुके है। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन मुजफ्फरनगर चैप्टर ने अपनी बैठक में ट्रिपिंग से होने वाली परेशानियों पर रोष जताया है और मुजफ्फरनगर विद्युत विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तथा जिला अधिकारी उमेश मिश्र का ध्यान भी बिजली की अघोषित कटौती की ओर दिलाया है।
मुजफ्फरनगर शहर में कब अचानक कई कई घंटे बिजली आपूर्ति बन्द कर दी जाए, यह कोई नहीं जानता। लाइन फाल्ट या तार बदलने के मौके पर पूर्व सूचना जरूर दे दी जाती है किन्तु अघोषित कटौती बदस्तूर जारी है। उपभोक्ता सोचता है कि अचानक इतनी कुव्यवस्था अथवा परेशानी क्यों आई है।
उत्तरप्रदेश के कुछ भागों में बिजली आपूर्ति के निजीकरण की चर्चा चल रही है। विद्युत विभाग के इंजीनियर व विद्युत कर्मी इसके विरुद्ध अभियान चलाये हुए हैं। उपभोक्ताओं को भी भ्रमित कर उकसाया जा रहा है। इन्होंने ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा के विरुद्ध एक प्रकार से जंग का ऐलान किया हुआ है।
उपभोक्ताओं को इससे कोई मतलब नहीं कि कौन बिजली का उत्पादन करता है, कौन पारेषण और वितरण करता है। उसे तो अबाधित आपूर्ति की दरकार है। ऐसे में यह आशंका होती है कि कहीं योगी सरकार व ऊर्जा मंत्री को बदनामी के मकसद से समुची व्यवस्था को बिगाड़ा तो नहीं जा रहा।
मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री इस पर ध्यान देने का कष्ट करें और निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करायें।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’