पंजाब में बाढ़ का कहर, राहत कार्यों में जुटी सेना-एनडीआरएफ की टीमें

पंजाब में लगातार बारिश और बांधों से छोड़े जा रहे पानी के कारण हालात गंभीर हो गए हैं। कई गांवों का सड़क संपर्क टूट गया है, घरों में पानी भरने से लोग सुरक्षित ठिकानों की ओर पलायन कर रहे हैं। हजारों एकड़ खेत और फसलें जलमग्न हो गई हैं, जबकि नदियों के किनारे बसे गांव पूरी तरह डूब चुके हैं।

गुरदासपुर जिले के बुगना, गहलरी, नौशहरा, बाऊपुर और मंसूरा जैसे गांवों में छह-छह फुट तक पानी भर गया है। कई लोग अपने घरों की छतों पर फंसे हुए हैं और राहत दल उनके बचाव में जुटे हैं।

सबसे ज्यादा असर इन जिलों में
पठानकोट, होशियारपुर, गुरदासपुर, कपूरथला, तरनतारन, फाजिल्का और फिरोजपुर जिले सबसे ज्यादा प्रभावित बताए जा रहे हैं। बीते 24 घंटों में पौंग डैम और रणजीत सागर डैम का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया। हालात को देखते हुए सेना, बीएसएफ, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवान राहत व बचाव अभियानों में लगे हुए हैं। प्रभावित क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर की मदद से भी लोगों को निकाला जा रहा है।

फिरोजपुर में बीएसएफ पोस्ट जलमग्न
सतलुज नदी में आई बाढ़ से फिरोजपुर और ममदोट क्षेत्र की कई चौकियां पानी में घिर गई हैं। बीएसएफ की ओल्ड गजनी वाला और सतपाल चेक पोस्ट बाढ़ की चपेट में आ गई हैं। आसपास के गांवों के लोग भी घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। अब बीएसएफ मोटर बोट से सीमा पर निगरानी कर रही है।

सरकार की सख्ती और स्कूल बंद
राज्य सरकार ने सभी अधिकारियों-कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं और उन्हें चौबीसों घंटे राहत कार्यों में जुटे रहने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बाढ़ प्रबंधन के लिए विशेष समिति गठित की है। जालंधर में फ्लड कंट्रोल रूम पहले ही सक्रिय किया जा चुका है। एहतियात के तौर पर राज्य के सभी सरकारी और निजी स्कूल 27 से 30 अगस्त तक बंद रखने का आदेश दिया गया है।

पठानकोट में सरकारी दफ्तर डूबे
रणजीत सागर डैम से लगातार छोड़े जा रहे पानी ने पठानकोट शहर की स्थिति भी बिगाड़ दी है। यूबीडीसी नहर का उफनता पानी शहर तक पहुंच गया, जिससे डीसी ऑफिस समेत कई सरकारी इमारतें डूब गईं। एनडीआरएफ की टीमें शहर में भी राहत कार्य कर रही हैं।

गोबिंद सागर झील में डूबा मंदिर
भाखड़ा डैम के पीछे स्थित गोबिंद सागर झील का जलस्तर बढ़ने से रायेपुर मैदार गांव का ऐतिहासिक बाबा गरीब दास मंदिर पानी में घिर गया है। मंदिर तक श्रद्धालुओं को अब नाव के जरिए पहुंचाया जा रहा है। मंदिर हर साल झील का जलस्तर 1665 फीट से ऊपर जाने पर पानी में डूब जाता है और इस दृश्य को देखने दूर-दराज से लोग यहां पहुंच रहे हैं।

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