राजस्थान के झुंझुनूं जिले के लालपुर गांव में मातम छा गया, जब गाँव का लाल, हवलदार इकबाल खान, देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए। यह घटना जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में हुई, जहां एलओसी की लाइन जीरो पर पेट्रोलिंग के दौरान अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। हवलदार इकबाल को बचाने में करीब एक घंटा लगा और उन्हें कैंप अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
इकबाल खान 21 ग्रेनेडियर्स यूनिट में तैनात थे। उनकी मौत की खबर जैसे ही लालपुर पहुंची, परिवार में शोक की लहर दौड़ गई। शहीद की पत्नी बार-बार बेहोश हो रही थीं। परिवार की तीन पीढ़ियाँ भारत माता की सेवा में रही हैं।
शहीद का दादा अफजल खां प्रथम विश्व युद्ध में लड़े थे और हवलदार के पिता यासिन खान 1971 की भारत-पाक युद्ध में शामिल हुए थे। इकबाल खान तीसरी पीढ़ी के सैनिक थे, जिन्होंने देश की सेवा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनकी 10 वर्षीय बेटी कक्षा 4 में पढ़ती है। इकबाल 3 जुलाई को 20 दिन की छुट्टी के बाद ड्यूटी पर लौटे थे।
हवलदार इकबाल खान को अंतिम विदाई दी गई। उनके जनाजे की नमाज अदा की गई और सैनिक सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इस दौरान झुंझुनूं सांसद बृजेंद्र ओला, जिला कलेक्टर अरुण कुमार, जिला पुलिस अधीक्षक ज्योतिप्रकाश उपाध्याय, अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेशाध्यक्ष एमडी चोपदार, स्थानीय विधायक और कई राजनेताओं ने पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।