ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा है कि वर्ष 2024 में संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा से संबंधित शासन को सौंपी गई रिपोर्ट निष्पक्ष नहीं है। उनका कहना है कि रिपोर्ट में स्पष्ट पक्षपात नजर आ रहा है। मौलाना ने कहा कि देश की एकता और अखंडता के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार हैं, लेकिन मस्जिद के नाम पर किसी भी तरह का समझौता स्वीकार नहीं किया जा सकता।
मौलाना ने कहा कि रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हरिहर मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया गया, जबकि वास्तविकता यह है कि मस्जिद का निर्माण 1525 में बाबर के शासनकाल में शुरू हुआ और 1530 में पूरा हुआ। इसके निर्माण की निगरानी बाबर के एक हिंदू पदाधिकारी ने की थी।
उन्होंने यह भी कहा कि दिन में संभल की जामा मस्जिद के साथ अन्याय हो रहा है और रिपोर्ट के कुछ अंश मीडिया में आने पर वे असंतुष्ट हैं। मौलाना ने आरोप लगाया कि रिपोर्ट को बंद लिफाफे में पेश किया जाना था, लेकिन इसके कुछ हिस्से जानबूझकर सार्वजनिक किए गए। भारत का मुसलमान इस रिपोर्ट को खारिज करता है।