बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की अध्यक्ष मायावती ने संगठनात्मक ढांचे में व्यापक फेरबदल करते हुए अपने भतीजे आकाश आनंद को नवगठित पद राष्ट्रीय संयोजक (Chief National Coordinator) की जिम्मेदारी सौंपी है। यह पद पार्टी में मायावती के बाद दूसरा सबसे प्रभावशाली माना जाएगा। इस फैसले से आकाश आनंद संगठन के शीर्ष नेतृत्व में शामिल हो गए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव समेत अन्य राज्यों में बीएसपी को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है।
आकाश आनंद को मिली नई जिम्मेदारी
अब तक राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर रहे आकाश आनंद को बतौर राष्ट्रीय संयोजक पार्टी के सभी सेक्टरों, केंद्रीय और राज्य कोऑर्डिनेटरों तथा प्रदेश अध्यक्षों की कार्यप्रणाली की समीक्षा करनी होगी। वे सीधे मायावती को रिपोर्ट करेंगे। खास बात यह है कि यह पद बीएसपी में पहली बार बनाया गया है, जो स्पष्ट करता है कि मायावती उन्हें भविष्य के नेतृत्व के लिए तैयार कर रही हैं।
संगठनात्मक पुनर्गठन
पार्टी को अधिक प्रभावी बनाने के लिए मायावती ने राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटरों की संख्या चार से बढ़ाकर छह कर दी है। सभी नए कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद को रिपोर्ट करेंगे और उनके नेतृत्व में काम करेंगे। इनमें प्रमुख नाम शामिल हैं—रामजी गौतम (दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार), राजाराम, रणधीर सिंह बेनीवाल, लालजी मेधांकर, अतर सिंह राव, धर्मवीर सिंह अशोक। इनके सहायक के तौर पर मोहित आनंद, सुरेश आर्या और दयाचंद जैसे नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है। कोऑर्डिनेटर देश को तीन हिस्सों में बांटकर पार्टी गतिविधियों का संचालन करेंगे।
राज्यों में नए अध्यक्ष
प्रदेश स्तर पर भी बदलाव किए गए हैं। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर विश्वनाथ पाल को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इसके अलावा दिल्ली में राजेश तंवर, मध्य प्रदेश में रमाकांत पिप्पल, छत्तीसगढ़ में श्याम टंडन, बिहार में शंकर महतो, महाराष्ट्र में डॉ. सुनील डोंगरे, कर्नाटक में एम. कृष्णा मूर्ति, तमिलनाडु में पी. आनंद, केरल में ज्वाय आर. थामस, हरियाणा में कृष्ण जमारपुर, पंजाब में अवतार सिंह करीपुरी, राजस्थान में प्रेम बारुपाल, झारखंड में शिव पूजन मेहता, पश्चिम बंगाल में मनोज हवलदार, ओडिशा में सरोज कुमार नायक, आंध्र प्रदेश में बंदेला गौतम, तेलंगाना में इब्राम शेखर, गुजरात में भगूभाई परमार, हिमाचल प्रदेश में विक्रम सिंह नायर, जम्मू-कश्मीर में दर्शन राणा, चंडीगढ़ में बृजपाल और उत्तराखंड में अमरजीत सिंह को अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। इन नियुक्तियों के जरिये बीएसपी ने उन प्रदेशों में पकड़ मजबूत करने का संदेश दिया है जहां पार्टी अभी कमजोर स्थिति में रही है।
आकाश आनंद का राजनीतिक सफर
आकाश आनंद, मायावती के भाई आनंद कुमार के पुत्र हैं और लंदन की प्लायमाउथ यूनिवर्सिटी से एमबीए कर चुके हैं। 2016 में सहारनपुर की एक रैली से उन्होंने राजनीति में कदम रखा था। 2019 में उन्हें राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर बनाया गया और 2023 के अंत में मायावती ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी भी घोषित किया था। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान उनके विवादित बयानों की वजह से उन्हें जिम्मेदारियों से हटाना पड़ा। जून 2024 में वे दोबारा संगठन में लौटे, लेकिन मार्च 2025 में फिर से विवादों के कारण बाहर कर दिए गए थे। अब मई 2025 में उनकी वापसी और पदोन्नति ने पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया है।
बीएसपी की रणनीति और भविष्य की चुनौती
2024 लोकसभा चुनाव में बीएसपी का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा। पार्टी उत्तर प्रदेश में एक भी सीट नहीं जीत सकी और वोट शेयर लगभग आधा होकर 19.4% से घटकर 9.3% रह गया। इस नतीजे ने मायावती को संगठन में बड़े बदलाव करने पर मजबूर किया। उन्होंने बिहार में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए पार्टी की स्वतंत्र रणनीति पर जोर दिया है। साथ ही कार्यकर्ताओं को दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के मुद्दों को प्राथमिकता देने और डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया है।
भविष्य की राह
आकाश आनंद की राष्ट्रीय संयोजक के रूप में नियुक्ति पार्टी में युवा नेतृत्व को आगे लाने का संकेत है। अब यह देखना अहम होगा कि वे इस नई जिम्मेदारी को किस तरह निभाते हैं और मायावती के मार्गदर्शन में बीएसपी को दुबारा मजबूती की ओर ले जा पाते हैं या नहीं। संगठन का यह नया ढांचा 2027 के विधानसभा चुनावों में बीएसपी की दिशा और ताकत तय करने में निर्णायक साबित हो सकता है।