जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर हालिया भूस्खलन की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है। इस समिति की अध्यक्षता जल शक्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव करेंगे और दो हफ्ते में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। मंगलवार को त्रिकुटा पहाड़ियों में आए भूस्खलन में 34 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और 20 से अधिक लोग घायल हुए थे।
मीडिया में फैली अफवाहों का श्राइन बोर्ड ने खंडन किया
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने 26 अगस्त की प्राकृतिक आपदा में तीर्थयात्रियों की मौत पर गहरा दुःख जताया और मीडिया में प्रसारित भ्रामक खबरों को पूरी तरह खारिज किया। बोर्ड ने स्पष्ट किया कि यात्रा मार्ग पर सभी मानक संचालन प्रक्रियाओं के तहत सुरक्षा इंतजाम किए गए थे और मौसम की स्थिति पर निगरानी रखी गई थी। जैसे ही मध्यम बारिश का अनुमान आया, पंजीकरण तुरंत स्थगित कर दिया गया।
अधिकांश श्रद्धालु पवित्र गुफा के दर्शन के बाद सुरक्षित मार्ग से लौट रहे थे। कई तीर्थयात्री पुराने ट्रैक पर बने आश्रय शेडों में रुके थे, जो सुरक्षित क्षेत्रों में स्थित हैं। नए मार्ग को भूस्खलन और मौसम संबंधी खतरे के कारण 24 अगस्त से बंद कर दिया गया था।
भूस्खलन अप्रत्याशित और गंभीर था
दुर्भाग्यपूर्ण घटना इंद्रप्रस्थ भोजनालय के पास पुराने ट्रैक पर हुई, जहां अचानक लगभग 50 मीटर के क्षेत्र में भीषण बादल फटने के कारण भूस्खलन हुआ। यह क्षेत्र पहले कभी भूस्खलन की चपेट में नहीं आया था।
आपदा प्रबंधन और राहत कार्य
ट्रैक पर तैनात श्राइन बोर्ड के आपदा प्रबंधन टास्क फोर्स ने जिला प्रशासन, पुलिस, सीआरपीएफ, सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्वयंसेवकों के साथ मिलकर तुरंत राहत और निकासी अभियान शुरू किया। घायल 18 तीर्थयात्रियों को प्राथमिक उपचार के बाद ककड़याल स्थित श्राइन बोर्ड अस्पताल में स्थानांतरित किया गया। फंसे हुए तीर्थयात्रियों को ताराकोट मार्ग से सुरक्षित कटरा पहुंचाया गया और मलबा हटाकर ढलान स्थिरीकरण का कार्य युद्धस्तर पर किया गया।
बोर्ड ने कहा कि मौसम पूर्वानुमान और सुरक्षा उपायों का पूरा ध्यान रखा गया। उन्होंने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया और शोक संतप्त परिवारों के साथ सहानुभूति व्यक्त की। घायलों को आवश्यक चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा रही है।