चमोली और रुद्रप्रयाग में भारी बारिश के कारण अलकनंदा और गंगा नदी उफान पर हैं, जिससे कई इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के पास या उससे ऊपर पहुंच गया है, जिससे प्रशासन अलर्ट मोड में है और आम लोगों की जान और रोजमर्रा का जीवन प्रभावित हो रहा है।
अलकनंदा नदी का जलस्तर इतना बढ़ गया कि यह धारी देवी मंदिर तक पहुंच गया। मंदिर परिसर के बाहर बनी पुरानी अस्थायी दुकानों में पानी घुस गया। मंदिर समिति के सदस्य राजेश पांडे ने बताया कि सुबह पांच बजे उन्हें जलस्तर बढ़ने की सूचना मिली। मौके पर पहुंचने पर उन्होंने देखा कि जीवीके डैम के गेट खोलने के बावजूद जलस्तर कम नहीं हुआ।
मंदिर से जुड़ा पुल आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है। खतरे को देखते हुए मंदिर और दुकानों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया। पार्षद राजेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि प्रशासन को मंदिर की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
कलियासौड़ के पास मिनी गोवा बीच तक अलकनंदा का पानी राष्ट्रीय राजमार्ग तक पहुंच गया, जिससे सड़क जलमग्न हो गई और वाहन चलाना असंभव हो गया। बाद में पानी कम होने पर यातायात बहाल किया गया। श्रीनगर में अलकनंदा का जलस्तर सुबह 534.80 मीटर दर्ज किया गया, जो दोपहर तक बढ़कर 535.80 मीटर तक पहुंच गया। यह चेतावनी स्तर (535 मीटर) से ऊपर है, हालांकि खतरे के निशान (536 मीटर) से अभी थोड़ी नीचे है। तेज बहाव के कारण अलकेश्वर घाट पूरी तरह डूब गया, जिससे नदी किनारे रहने वाले लोग और दुकानदार दहशत में हैं। प्रशासन ने लोगों को नदी से दूर रहने की चेतावनी दी है और पुलिस तथा नगर निगम की टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं।
देवप्रयाग में भी गंगा नदी उफान पर है। चमोली के देवाल क्षेत्र में अतिवृष्टि के बाद गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़कर खतरे के निशान (463 मीटर) को पार कर 466.28 मीटर तक पहुंच गया। गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण संगम स्थल, रामकुंड, बेलेश्वेर और फुलाड़ी घाट पूरी तरह डूब गए हैं। संगम स्थित ओएनएस स्कूल में पानी घुसने के कारण छुट्टी कर दी गई।
जिलाधिकारी ने धारी देवी क्षेत्र की दुकानों और श्रीनगर में नदी किनारे स्थित स्कूलों को सुरक्षा के कारण बंद करने के निर्देश दिए हैं और यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर ठहराने का प्रबंध किया गया है। प्रशासन और पुलिस की टीमें लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और लोगों से सतर्क रहने की अपील की जा रही है। स्थानीय लोग इसे 2013 की आपदा की याद दिलाने वाला बताते हुए चिंतित हैं कि कहीं हालात और न बिगड़ें।