मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने शुक्रवार को मुंबई के आजाद मैदान में अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी। वे ओबीसी के तहत मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं और उनका कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, वे आंदोलन जारी रखेंगे।
जरांगे ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि वे अपनी जान देने के लिए तैयार हैं और जब तक मराठा समुदाय को कुनबी का दर्जा नहीं मिलता, वे मुंबई नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि चाहे उन्हें जेल में डाल दिया जाए या गोली लग जाए, वे पीछे नहीं हटेंगे।
शुक्रवार को हजारों प्रदर्शनकारी भगवा झंडे और मफलर लिए मुंबई में मार्च निकाले, जिसमें ‘एक मराठा, लाख मराठा’ के नारे लगाए गए। इस वजह से कई सड़कों पर ट्रैफिक बाधित हुआ और पुलिस को मार्ग बंद करना पड़ा। बाद में सरकार और जरांगे के बीच बातचीत के बाद रास्ता खोला गया, लेकिन जरांगे को चेतावनी दी गई कि वे लक्ष्मण रेखा पार न करें।
विपक्षी दल शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और एनसीपी ने जरांगे के प्रदर्शन का समर्थन किया। महाराष्ट्र के सीएम ने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि मनोज जरांगे के आंदोलन के पीछे राजनीतिक साजिशें हैं।
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मराठा समुदाय के लिए आरक्षण लागू करने के लिए कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि मौजूदा ओबीसी कोटा प्रभावित नहीं होगा और किसी समुदाय का अधिकार छीनकर दूसरे को नहीं दिया जा सकता।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि सरकार इस मुद्दे का समाधान निकालने के लिए काम कर रही है। उन्होंने बताया कि कैबिनेट मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल के नेतृत्व में समिति गठित की गई है, जो बातचीत कर रही है। पवार ने कहा कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण होने चाहिए और सरकार विश्वास करती है कि जल्द ही समाधान निकलेगा।