नई दिल्ली। बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2026 में भारत की अर्थव्यवस्था लगभग 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। रिपोर्ट के अनुसार घरेलू मांग की मजबूती और विनिर्माण, कृषि व सेवा क्षेत्रों में सुधार इस वृद्धि को आधार प्रदान कर रहे हैं। हालांकि, टैरिफ से जुड़ी बढ़ती आशंकाओं को संभावित जोखिम बताया गया है।
बैंक का यह अनुमान भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के पूर्वानुमान से मेल खाता है। आरबीआई ने 6 अगस्त को हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक में वित्त वर्ष 26 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-जून तिमाही में देश की वास्तविक जीडीपी 7.8 प्रतिशत तक पहुंच गई, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 6.5 प्रतिशत थी। वहीं, नाममात्र जीडीपी इस तिमाही में 8.8 प्रतिशत बढ़ी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी त्योहारी सीजन में शहरी खपत और खर्च में तेजी से विकास की रफ्तार और तेज हो सकती है। इसके साथ ही, आरबीआई की ओर से ब्याज दरों में संभावित कटौती और सरकार द्वारा अतिरिक्त राजकोषीय समर्थन भी वृद्धि को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेंगे।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि मौजूदा वृद्धि मजबूत मैक्रोइकॉनॉमिक आधार पर टिकी हुई है। आपूर्ति पक्ष की गतिविधियों को विनिर्माण, निर्माण और सेवाओं ने बल दिया है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि सरकार का पूंजीगत व्यय सकल स्थायी पूंजी निर्माण (GFCF) को गति देता रहा है। इसके साथ ही, निजी निवेश की धारणा बेहतर हुई है और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में नई निवेश घोषणाओं में साल-दर-साल 3.3 गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है।