चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में भारत की कूटनीतिक रणनीति चर्चा का विषय बनी रही। इस मंच पर सभी सदस्य देश एक साथ मौजूद थे। ग्रुप फोटो सेशन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान, मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा मदबौली और बेलारूस के राष्ट्रपति सहित कई नेताओं से मुलाकात की। लेकिन उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन से जानबूझकर दूरी बनाए रखी।
पाकिस्तान-तुर्किए से कोई संवाद नहीं
फोटो सेशन के दौरान पीएम मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी मंच पर मौजूद थे। हालांकि, न तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और न ही तुर्किए के राष्ट्रपति से मोदी ने बातचीत की। यहां तक कि उन्होंने उनकी ओर देखा तक नहीं। इसे भारत की स्पष्ट कूटनीतिक संदेशवाजी के तौर पर देखा जा रहा है।
तुर्किए से रिश्तों में खटास
भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव नया नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में तुर्किए से भी भारत के संबंध बिगड़े हैं। इसका कारण पाकिस्तान को मिली उसकी खुली मदद है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद तुर्किए ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का विरोध किया था और पाकिस्तान को हथियार उपलब्ध कराए थे। भारत ने इस रुख की कड़ी आलोचना की।
तुर्किए बॉयकॉट अभियान
तुर्किए की इस भूमिका से नाराजगी इतनी बढ़ी कि भारत में उसके सामानों के बहिष्कार की मुहिम छेड़ दी गई। व्यापारियों ने तुर्किए से सेब, मार्बल और अन्य वस्तुओं का आयात रोक दिया। इसके चलते दोनों देशों के बीच तनाव और गहराता गया।