दिल्ली पुलिस द्वारा शास्त्री पार्क रोड पर अतिक्रमण हटाने के लिए कई एफआईआर दर्ज करने के बावजूद सड़क किनारे ठेले और रेहड़ियों की समस्या जस की तस बनी हुई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कार्रवाई केवल औपचारिकता बनकर रह गई है और इसका कोई ठोस असर नहीं दिख रहा।
फल बेचने वाले ठेलेवाले न केवल सड़क पर कब्जा करते हैं, बल्कि वाहन चालकों के लिए रास्ता भी अवरुद्ध कर देते हैं। शुक्रवार को शास्त्री पार्क थाने के कांस्टेबल रंजीत ने तीन विक्रेताओं—फिरोज खान, दिलशाद और शमीम—के खिलाफ सरकारी सड़क पर अतिक्रमण की धारा में केस दर्ज किया। आम लोगों को उम्मीद थी कि एफआईआर के बाद अतिक्रमण हट जाएगा, लेकिन रविवार को भी ठेले सड़क पर लगे हुए थे।
फल विक्रेताओं का कहना है कि सड़क पर रेहड़ियाँ लगाने के लिए निगम और पुलिस से पैसे दिए जाते हैं, और बीच-बीच में केवल दिखावटी कार्रवाई होती है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि अतिक्रमण हटाना पुलिस के लिए कोई चुनौती नहीं है, बल्कि एफआईआर केवल खानापूर्ति के लिए दर्ज की जाती है।
पुलिस का कहना है कि समय-समय पर अतिक्रमणकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाती है और निगम के सहयोग से अतिक्रमण हटाया जाता है। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ बीएनएस की धारा 285 के तहत कार्रवाई होती है, जिसमें पांच हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।