मराठा आरक्षण आंदोलन पर कोर्ट का अल्टीमेटम: कल दोपहर तक सड़कें खाली करें

मुंबई। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने कड़ी नाराज़गी जताई है। अदालत ने कहा कि मनोज जरांगे के नेतृत्व में हो रहा प्रदर्शन न तो शांतिपूर्ण रहा है और न ही तय शर्तों का पालन किया गया है। अदालत ने चेतावनी दी कि आंदोलनकारियों ने शहर को ठप कर दिया है और अदालत को दिए हलफनामे का उल्लंघन किया है।

सोमवार को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने साफ कहा कि प्रदर्शनकारियों को सिर्फ़ आजाद मैदान में धरना देने की इजाज़त थी, लेकिन वे छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, चर्चगेट, मरीन ड्राइव और यहां तक कि हाईकोर्ट परिसर के बाहर तक फैल गए। न्यायालय ने आदेश दिया कि मंगलवार दोपहर तक मुंबई की सभी सड़कें खाली कर दी जाएं और पांच हजार से अधिक लोग आजाद मैदान में मौजूद न रहें।

कोर्ट ने सरकार से भी सख्त सवाल पूछे कि यदि आंदोलन में लाखों लोग और जुड़ते हैं तो प्रशासन क्या करेगा। सरकार की ओर से बताया गया कि गणेशोत्सव के कारण हालात और जटिल हो गए हैं और पुलिस बल का सख्त इस्तेमाल टालना बेहतर होगा। इस पर अदालत ने कहा कि विरोध का अधिकार सभी को है, लेकिन वह शांति और तय नियमों के तहत ही होना चाहिए।

अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि जरांगे का पुलिस को दिया गया आश्वासन केवल औपचारिकता साबित हुआ है। अदालत ने चेताया कि सड़कें रोकने, जजों-वकीलों की गाड़ियां रोकने और सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी फैलाने जैसी गतिविधियां किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।

जरांगे की मांग है कि मराठा समुदाय को कुनबी जाति में शामिल कर ओबीसी श्रेणी के तहत 10% आरक्षण दिया जाए। इसके लिए वे शुक्रवार से आजाद मैदान में अनशन पर बैठे हैं और सोमवार से पानी पीना भी बंद कर चुके हैं। उन्होंने साफ कहा है कि मांगें पूरी होने तक वे आंदोलन खत्म नहीं करेंगे।

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