अजरबैजान ने भारत पर आरोप लगाया है कि उसने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में उसकी पूर्ण सदस्यता के रास्ते में बाधा खड़ी की। बाकू का दावा है कि भारत का यह रुख पाकिस्तान के साथ उसके करीबी संबंधों से जुड़ा है।
अजरबैजान की मीडिया ने भारत पर बहुपक्षीय कूटनीति के सिद्धांतों के खिलाफ कदम उठाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह निर्णय “बदले की भावना” से प्रेरित है।
‘ऑपरेशन सिन्दूर’ विवाद की वजह
माना जा रहा है कि इस विवाद की जड़ अजरबैजान द्वारा पाकिस्तान को दिए गए समर्थन में है। हाल ही में चीन के तियानजिन में अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मुलाकात के दौरान अलीयेव ने पाकिस्तान को ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ में भारत पर मिली “कामयाबी” की बधाई दी। उन्होंने साफ कहा कि भारत चाहे जितना विरोध करे, उनका देश पाकिस्तान के साथ “भाईचारे” जैसे रिश्तों को और मजबूत करेगा।
पाकिस्तान-अजरबैजान की नजदीकी
बैठक में अलीयेव ने दोनों देशों के राजनीतिक, सांस्कृतिक और सुरक्षा संबंधों की सराहना की और व्यापारिक सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। हाल के वर्षों में अजरबैजान और पाकिस्तान के रिश्ते खासकर रक्षा, आर्थिक और क्षेत्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में गहरे हुए हैं। ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के दौरान अजरबैजान ने खुले तौर पर पाकिस्तान का समर्थन किया था, जब भारत ने पाकिस्तान और पीओके स्थित आतंकी ढांचों पर कार्रवाई की थी।
भारत से क्यों बढ़ा तनाव?
‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के समय अजरबैजान ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव पर चिंता जताई थी लेकिन रुख साफ तौर पर पाकिस्तान के पक्ष में रहा। इसी कारण भारत और अजरबैजान के संबंधों में खटास आ गई। बाकू का कहना है कि भारत की नाराजगी का असली कारण उसका पाकिस्तान के प्रति झुकाव है, लेकिन उसने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस “भाईचारे” वाले रिश्ते से पीछे नहीं हटेगा।