मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मंगलवार को विधानसभा में प्रदेश में हो रहे अवैध खनन पर विस्तृत वक्तव्य देते हुए साफ किया कि इसमें संलिप्त किसी भी व्यक्ति को छोड़ा नहीं जाएगा, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो। उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन पूरी निष्पक्षता से कार्रवाई कर रहे हैं और दोषियों पर कठोरतम कानूनी धाराओं के तहत कार्रवाई होगी। सीएम ने स्पष्ट किया कि प्रदेश की प्राकृतिक संपदा और जनता के अधिकारों की रक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
उन्होंने सदन को अवगत कराया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि सुजानपुर क्षेत्र का एक स्टोन क्रशर, जिसे जुलाई 2024 में आधिकारिक रूप से बंद घोषित किया गया था, अवैध खनन में सक्रिय है। यह क्रशर स्थानीय प्रभावशाली लोगों से जुड़ा हुआ पाया गया। 12 अगस्त को एएसपी की अगुवाई में पुलिस टीम ने छापेमारी कर वहां से एक पोकलेन, दो जेसीबी मशीनें, चार टिपर, एक मिक्सर, करीब 50 खनन सामग्री से भरे ट्रक, डीवीआर और एक ट्रैक्टर कब्जे में लिया।
चोरी व अवैध खनन का गंभीर मामला
सीएम ने जानकारी दी कि इस मामले में सुजानपुर थाने में एफआईआर संख्या 53/2025 दर्ज की गई है। पुलिस जांच में यह सामने आया कि बरसात के मौसम में खनन पर प्रतिबंध के बावजूद क्रशर पर जेसीबी और ट्रक लगातार काम कर रहे थे। सरकारी भूमि पर स्थित इस क्रशर की लीज 15 मार्च 2024 से रद्द मानी जा चुकी थी। जांच में खनिज सामग्री का मापन लोक निर्माण विभाग से कराया गया है और खनन विभाग भी रॉयल्टी व अन्य दस्तावेजों की जांच में शामिल है। आरोपियों के बैंक खातों की भी जांच चल रही है, जबकि जब्त डीवीआर रिकॉर्डिंग फोरेंसिक लैब भेजी गई है। बिजली बोर्ड ने क्रशर की सप्लाई भी काट दी है।
“नाम किसी और का, संचालन किसी और का”
सीएम ने खुलासा किया कि क्रशर मालिक ने नवंबर 2024 में पॉवर ऑफ अटॉर्नी के जरिए संचालन अपने भतीजे उमेश शर्मा को सौंप दिया था, जो सड़क और पुल निर्माण कंपनी का मालिक है। यह जांच का विषय है कि कंपनी को क्रशर से कितनी सामग्री सप्लाई की गई। सीएम ने कहा, “यहां नाम किसी और का है, खेल किसी और का।”
उन्होंने बताया कि आरोपी प्रवीण शर्मा, उमेश शर्मा और उनके सहयोगियों ने अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की है, जिसकी सुनवाई 24 सितंबर को होगी। सीएम ने दो टूक कहा कि जमानत का मतलब दोषमुक्त होना नहीं है, जांच जारी है और आरोपियों को कानून के कटघरे तक लाया जाएगा।
अधिकारियों की मिलीभगत पर भी शक
मुख्यमंत्री ने यह भी आशंका जताई कि अवैध खनन में कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत हो सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसे कारोबार केवल आर्थिक लालच से नहीं, बल्कि राजनीतिक-सामाजिक रिश्तों के संरक्षण से फलते-फूलते हैं। यह लोकतंत्र के लिए गंभीर चिंता का विषय है कि यदि जनप्रतिनिधि परोक्ष रूप से भी ऐसे अवैध नेटवर्क को बचाते हैं तो यह प्रदेश की गरिमा पर धब्बा है।