जीएसटी सुधारों से बढ़ेगी पारदर्शिता, छोटे व्यवसायों को मिलेगी राहत: वित्तमंत्री

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि जीएसटी में अगली पीढ़ी के सुधार अर्थव्यवस्था को और अधिक खुला तथा पारदर्शी बनाएंगे। साथ ही इनसे अनुपालन का बोझ घटेगा और छोटे व्यवसायों को राहत मिलेगी। वह चेन्नई में सिटी यूनियन बैंक के 120वें स्थापना दिवस समारोह में बोल रही थीं। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहीं।

सीतारमण ने बताया कि पिछले 11 वर्षों में 56 करोड़ जनधन खाते खोले गए हैं, जिनमें 2.68 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। इनमें 67 प्रतिशत खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं तथा 56 प्रतिशत महिलाओं के नाम पर हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 18 वर्षों बाद पहली बार एसएंडपी ने भारत की दीर्घकालिक सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग में सुधार किया है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में जीएसटी सुधारों के लिए एक टास्क फोर्स गठित की है, जिसे नियमों को सरल बनाने, अनुपालन लागत घटाने और स्टार्टअप्स व एमएसएमई के लिए बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करने का जिम्मा दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि परिषद की आगामी बैठक से इन सुधारों की औपचारिक शुरुआत होगी, जिससे आने वाले महीनों में छोटे व्यवसायों के लिए विकास का रास्ता और आसान होगा।

सीतारमण ने यह भी कहा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जिससे बैंकिंग प्रणाली और मजबूत बनी है।

डिजिटल साक्षरता और वित्तीय जागरूकता में चुनौतियां: राष्ट्रपति मुर्मू
कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद डिजिटल साक्षरता, इंटरनेट पहुंच और वित्तीय जागरूकता जैसी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं।

उन्होंने कहा कि किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना बैंकिंग क्षेत्र की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। साथ ही बैंकों और फिनटेक कंपनियों को वंचित समुदायों के लिए सरल मोबाइल एप्लिकेशन और बीमा उत्पाद उपलब्ध कराने चाहिए। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भुगतान बैंकों, डिजिटल वॉलेट और बैंकिंग संवाददाताओं ने वित्तीय सेवाओं को गांव-गांव तक पहुंचाया है, लेकिन वास्तविक प्रभाव के लिए तकनीकी व वित्तीय साक्षरता पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है।

मुर्मू ने जोर दिया कि सभी हितधारकों के साझा प्रयासों से लोगों को बैंकिंग सेवाओं से बेहतर ढंग से जोड़ा जा सकता है और एमएसएमई को विकास का इंजन बनाने में मदद मिलेगी।

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