प्रयागराज जंक्शन पर मंगलवार को आरपीएफ ने जोगबनी से आनंद विहार टर्मिनल जा रही सीमांचल एक्सप्रेस में छापेमारी कर मानव तस्करी का बड़ा मामला उजागर किया। आरपीएफ, चाइल्डलाइन और आस्था महिला एवं बाल विकास संस्थान की संयुक्त टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत 15 नाबालिग बच्चों को तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया। बच्चों को कथित तौर पर पढ़ाई के लिए लुधियाना ले जाया जा रहा था, लेकिन वहां उन्हें अवैध रूप से काम पर लगाया जाना था। छापेमारी की भनक लगते ही मुख्य ठेकेदार कुछ बच्चों के साथ भागने में सफल हो गया।
बच्चों को पढ़ाई के नाम पर मजदूरी कराई जा रही थी। आस्था महिला एवं बाल विकास संस्थान को बिहार से सूचना मिली थी कि सीमांचल एक्सप्रेस में लगभग 40 नाबालिग बच्चों को लुधियाना ले जाया जा रहा है। संस्था ने तुरंत जीआरपी प्रयागराज के साथ मिलकर घेराबंदी शुरू की। ट्रेन के प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर पहुंचते ही जीआरपी इंस्पेक्टर अकलेश कुमार सिंह और आरपीएफ इंस्पेक्टर अमित मीना की टीम ने तलाशी शुरू की।
जांच में स्लीपर कोच से 4 और जनरल कोच से 11 बच्चे बरामद हुए। इनकी उम्र 10 से 17 वर्ष के बीच थी और सभी बिहार के विभिन्न इलाकों के निवासी थे। बच्चों ने बताया कि ठेकेदार उन्हें पढ़ाई के बहाने ले जा रहा था, लेकिन उनके पास कोई कानूनी दस्तावेज नहीं थे।
ऑपरेशन के दौरान रैकेट में अफरा-तफरी मच गई। मुख्य ठेकेदार और कुछ बच्चे भागने में सफल रहे। जीआरपी और आरपीएफ ने स्टेशन के सभी प्रवेश और निकास द्वार सील कर दिए, लेकिन ठेकेदार को पकड़ नहीं पाए। बरामद बच्चों को चाइल्डलाइन के हवाले किया गया, जहां उनकी काउंसलिंग और देखभाल शुरू की गई।
जीआरपी इंस्पेक्टर अकलेश कुमार सिंह ने बताया कि मामले में विधिक कार्रवाई की जा रही है और आस्था संस्था के सहयोग से ठेकेदार व अन्य संदिग्धों की जानकारी जुटाई जा रही है। इंस्पेक्टर अमित मीना ने इसे मानव तस्करी का गंभीर मामला बताया और फरार ठेकेदार को पकड़ने के लिए कई टीमें गठित की गई हैं।