खतरे के निशान से ऊपर यमुना, कैराना-चौसाना में फसलें डूबीं

शामली। हथिनीकुंड बैराज से सोमवार सुबह छोड़े गए 3 लाख 29 हजार क्यूसेक पानी का असर मंगलवार को यमुना नदी में देखने को मिला। नदी का जलस्तर खतरे के निशान से आधा मीटर ऊपर पहुंच गया। तेज बहाव और उफनती लहरों ने आसपास के ग्रामीणों में दहशत पैदा कर दी है। कैराना और चौसाना क्षेत्र में हजारों बीघा सब्जी, गन्ना और चारे की फसलें पानी में डूब गईं, जिससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया। अब उनकी नजर प्रशासन और सरकार की ओर है।

सोमवार सुबह 9 बजे पानी के दबाव में बढ़ोतरी के चलते हथिनीकुंड बैराज के सभी गेट खोल दिए गए थे। इसके परिणामस्वरूप यमुना का जलस्तर 232 मीटर तक पहुंच गया, जबकि खतरे का निशान 231.5 मीटर है। हालांकि रात तक डिस्चार्ज घटकर ढाई लाख क्यूसेक से भी कम हो गया, फिर भी तेज बहाव से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

यमुना पुल के पास बने केंद्रीय जल आयोग कार्यालय के चारों ओर बाढ़ का पानी भर गया, जिससे कर्मचारी ऊंचे स्थान पर बैठने को मजबूर हुए। पुल के पास स्थित शिव मंदिर में भी पानी भर गया। नदी और तटबंध के बीच हजारों बीघा फसलें जलमग्न हो चुकी हैं। उपजिलाधिकारी निधि भारद्वाज ने यमुना के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए तटबंध का निरीक्षण किया और बाढ़ चौकियों तथा गांवों में सतर्कता बरतने के निर्देश दिए।

2013 की बाढ़ की यादें ताजा
ग्रामीणों का कहना है कि यमुना की उफान मारती लहरें 2013 की भयंकर बाढ़ की याद ताजा कर रही हैं। उस वर्ष मवी के पास तटबंध टूटने से दर्जनों गांव तबाह हुए थे, सैकड़ों घर ढह गए थे और यूपी-हरियाणा का संपर्क बाधित हो गया था।

किसानों को भारी नुकसान
मामौर निवासी तालिब ने बताया कि उनकी 8 बीघा मिर्च की फसल और पोपलर के पेड़ डूब गए। मवी निवासी मेघराज ने कहा कि 150 बीघा में लगे अमरूद, नाशपाती के बाग और धान-ज्वार की फसलें जलमग्न हो गईं। विजय पाल भाटी ने बताया कि 20 बीघा गन्ने की फसल में पानी भर गया। रुकमदीन ने कहा कि 40 बीघा धान और सब्जियां पूरी तरह खराब हो गईं।

फसलें और खेत प्रभावित
चौसाना क्षेत्र के भड़ी, मुस्तफाबाद, लक्ष्मीपुरा, साल्हापुर, सकौती, नाई नगला और मंगलौरा समेत दर्जनों गांवों में सैकड़ों बीघा खेत डूब चुके हैं। सबसे ज्यादा नुकसान गन्ना, धान, ज्वार और उड़द की फसलों को हुआ। ग्रामीणों ने रातभर तटबंध पर गश्त की ताकि स्थिति बिगड़ने पर तुरंत कार्रवाई की जा सके। तेज बहाव से यमुना किनारे जमीन कट रही है और उपजाऊ भूमि बहने लगी है। ग्रामीण प्रशासन से कटान रोकने और फसल का सर्वे कर मुआवजा दिलाने की मांग कर रहे हैं।

डीएम का बयान
जिलाधिकारी अरविंद कुमार चौहान ने कहा, “सिंचाई और अन्य विभागों के अधिकारियों को अलर्ट रहने को कहा गया है। किसानों की मदद करें। किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”

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