पंजाब के 9 जिले इस समय गंभीर बाढ़ की चपेट में हैं। राज्य के लगभग 1300 गांव जलमग्न हो चुके हैं और अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है। हजारों पशु बह गए हैं और फसलों को भारी नुकसान हुआ है। लाखों लोग बेघर होकर सड़कों और राहत शिविरों में दिन-रात गुजारने को मजबूर हैं। तरनतारन, अजनाला, पठानकोट, फाजिल्का और अमृतसर जैसे जिलों में चारों ओर पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। लगातार पहाड़ी क्षेत्रों से बहते पानी की वजह से पंजाब की नदियों और बांधों पर दबाव बढ़ गया है। सतलुज, ब्यास और रावी नदियां उफान पर हैं।
बाढ़ ने पूरी जिंदगी बदल दी
कुछ परिवारों ने बाढ़ में पहले ही हारे हुए आशियाने फिर से बनाए थे, लेकिन 2025 की बाढ़ ने उन्हें फिर से सबकुछ छीन लिया। करमजीत (बदला हुआ नाम) कहती हैं कि पूरी जिंदगी इस आपदा से उबरने में लग जाएगी।
पशुओं और फसलों को भारी नुकसान
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 94,061 हेक्टेयर फसलें बाढ़ में नष्ट हो चुकी हैं। सबसे अधिक नुकसान मानसा में 17,005 हेक्टेयर फसलों को हुआ है। अन्य प्रभावित जिलों में कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर और पठानकोट शामिल हैं। मुख्यतः धान की फसल बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित हुई है, जिससे केंद्रीय धान पूल पर असर पड़ेगा।
राहत और बचाव कार्य
बाढ़ प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए 129 राहत कैंप खोले गए हैं। 7,144 राहत शिविरों में लोग दिन-रात रह रहे हैं। 114 बोट्स और एक हेलिकॉप्टर राहत कार्य में तैनात हैं, साथ ही NDRF की 20 टीमें, वायुसेना, थल सेना और नेवी के जवान बचाव में लगे हुए हैं।
जनजीवन प्रभावित
अजनाला और पठानकोट जैसे बॉर्डर इलाके सबसे अधिक प्रभावित हैं। लोग अपने घरों की छतों पर टेंट लगाकर रह रहे हैं। कई हाईवे टूट चुके हैं और कनेक्टिविटी बाधित हो गई है। लोग अपने आंखों के सामने अपने घरों और सामान को बहते देख रहे हैं, बच्चों की किताबें और परिवार की चीजें पानी में चली गई हैं।
सरकार और लोगों की प्रतिक्रिया
लोगों का कहना है कि मदद तो मिल रही है, लेकिन सरकार की समय पर तैयारी और चेतावनी की कमी ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। फिर भी, प्रभावित लोग कहते हैं कि यह दौर भी गुजर जाएगा और जिंदगी आगे बढ़ती रहेगी।