पंजाब में लगातार बारिश और नदियों के उफान ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। प्रदेश के सभी 23 जिलों के 1200 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। हालात की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने पूरे पंजाब को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया है।
मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा ने सभी विभागों को अलर्ट रहने और आपदा प्रबंधन अधिनियम 2025 के तहत राहत कार्य तेज करने के निर्देश दिए हैं।
दशकों की सबसे भीषण बाढ़
अधिकारियों के अनुसार, इस बार की बारिश और बांधों से छोड़े गए पानी के चलते प्रदेश दशकों की सबसे भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है। स्थिति लगातार बिगड़ रही है और आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में हालात और विकट हो सकते हैं।
खेत-खलिहान डूबे, पशुधन को भारी नुकसान
करीब 3.75 लाख एकड़ कृषि भूमि, विशेषकर धान के खेत, जलमग्न हो चुके हैं। फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं, वहीं हजारों पशुओं की मौत की भी खबर है। ग्रामीण परिवारों की आजीविका पर इसका गहरा असर पड़ा है।
मुख्य सचिव ने सभी उपायुक्तों को निर्देश दिए हैं कि वे हालात से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाएँ। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को तत्काल राहत कार्य करने और सभी विभागों को छुट्टियों के बावजूद ड्यूटी पर तैनात रहने के आदेश दिए गए हैं। बिजली, पानी, टेलीकॉम और सड़क सेवाओं को बहाल करने के लिए युद्ध स्तर पर काम करने की अपील की गई है।
सीएम मान करेंगे प्रभावित क्षेत्रों का दौरा
मुख्यमंत्री भगवंत मान आज संगरूर के मकरोड साहिब इलाके का दौरा करेंगे और घग्गर नदी पर बने पुलों का निरीक्षण करेंगे। वे राहत एवं बचाव कार्यों की प्रगति की समीक्षा भी करेंगे।
दिल्ली से पहुंचेगा राहत सामग्री
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज राहत सामग्री लेकर पंजाब जा रहे हैं। दिल्ली से हर दिन ट्रक के जरिए आवश्यक सामान भेजा जाएगा। कई सामाजिक संगठन, व्यापारी और आम लोग भी मदद में आगे आ रहे हैं।
मोगा के गांवों में तबाही
भाखड़ा डैम से पानी छोड़े जाने के बाद सतलुज नदी का जलस्तर बढ़ गया है। इसके चलते मोगा जिले के संघेड़ा, कंबो खुर्द और सेरेवाला गांव बाढ़ से प्रभावित हो गए। लगभग 250 घरों में पानी घुस चुका है। लोग नावों की मदद से अपना सामान निकाल रहे हैं और पशुओं को बांधों या ऊँचे स्थानों पर ले जाया गया है। प्रशासन ने प्रभावित परिवारों के लिए नजदीकी स्कूलों में राहत शिविर बनाए हैं, जहाँ भोजन, दवाइयों और साफ पानी की व्यवस्था की गई है।
सतलुज किनारे के करीब 30 गांवों में 6 हजार एकड़ से ज्यादा फसल पहले ही डूब चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि असली नुकसान का अंदाजा जलस्तर कम होने के बाद ही लग पाएगा।
भाखड़ा डैम खतरे के निशान के करीब
भाखड़ा डैम का जलस्तर 1678 फीट तक पहुँच गया है, जो खतरे के निशान से केवल दो फीट नीचे है। कैबिनेट मंत्री हरजोत बैंस ने जानकारी दी कि फिलहाल 5 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि सुरक्षित स्थानों पर चले जाएँ क्योंकि बारिश के चलते पानी का दबाव लगातार बढ़ रहा है।