नई दिल्ली। जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक दो दिनों तक जारी रहेगी, और इसके फैसलों की घोषणा 4 सितंबर को होने की संभावना है। इस बैठक में केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्री हिस्सा ले रहे हैं। इस बार की बैठक विशेष महत्व की है क्योंकि इसमें आठ साल पुराने जीएसटी ढांचे में बड़े बदलावों पर विचार किया जा रहा है। सरकार ने जीएसटी दरों में अब तक की सबसे बड़ी कटौती का प्रस्ताव रखा है, जिसका मकसद अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ के प्रभाव से घरेलू मांग बढ़ाना है।
फरवरी में आयकर प्रणाली में बड़े बदलाव के बाद, अब जीएसटी में प्रस्तावित कटौती से देश में खपत बढ़ने की उम्मीद है। जून तिमाही में 7.8% की अप्रत्याशित वृद्धि ने भी इसे संकेतित किया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में परिषद का कर पैनल लगभग 400 वस्तुओं पर करों में कटौती पर विचार करेगा, जिसमें हेयर ऑयल से लेकर छोटी कारें शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव कपड़ा, ऑटो और फार्मास्यूटिकल्स के निर्यात पर पड़ा है, इसलिए घरेलू खपत पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी है।
इस कदम से हिंदुस्तान यूनिलीवर, गोदरेज, सैमसंग जैसी कंपनियों की बिक्री बढ़ने की उम्मीद है। वाहन निर्माता जैसे मारुति, टोयोटा और सुजुकी भी राहत की उम्मीद कर रहे हैं। परिषद मौजूदा चार स्लैब की जगह 5% और 18% के दो स्लैब लागू करने पर विचार कर रही है। इसके साथ ही 40% का अतिरिक्त स्लैब भी लाया जा सकता है, जो महंगी कारों और सिगरेट जैसी विलासितापूर्ण वस्तुओं पर लागू होगा।
उपभोक्ता वस्तुओं जैसे टूथपेस्ट और शैम्पू पर कर को 18% से घटाकर 5% करने और छोटी कारों, एसी और टीवी पर कर को 28% से घटाकर 18% करने की योजना है। विशेषज्ञ अनुमान लगाते हैं कि इससे जीएसटी राजस्व में 21 अरब डॉलर का नुकसान होगा, जिसमें राज्यों की हिस्सेदारी अधिक होगी।
इसके अलावा महंगे इलेक्ट्रिक वाहनों पर कर बढ़ाने, 2,500 रुपये से अधिक मूल्य वाले परिधानों पर कर को 12% से 18% करने और प्रीमियम एयरलाइन टिकट पर कर बढ़ाने पर भी विचार होगा।
जीएसटी सुधारों के लिए केंद्र आठ क्षेत्रों पर ध्यान दे रहा है: कपड़ा, उर्वरक, नवीकरणीय ऊर्जा, मोटर वाहन, हस्तशिल्प, कृषि, स्वास्थ्य और बीमा। विपक्षी शासित राज्यों ने राजस्व हानि के मुआवजे की मांग की है, जबकि आंध्र प्रदेश ने प्रस्ताव का समर्थन किया है।
सरकार का जीएसटी सुधार प्रस्ताव तीन स्तंभों पर आधारित है: संरचनात्मक सुधार, दरों का युक्तिकरण और जीवन को आसान बनाना। इसमें छोटे व्यवसाय और स्टार्टअप्स के लिए आसान पंजीकरण, निर्यातकों के लिए स्वचालित रिफंड प्रक्रिया और पहले से भरे हुए जीएसटी रिटर्न शामिल हैं।