भारत आगे भी रूसी तेल का आयात जारी रखेगा और इसके सभी निर्णय राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर लिए जाएंगे। यह बात केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कही।
एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि चाहे तेल का स्रोत रूस हो या कोई अन्य देश, भारत अपनी आवश्यकताओं, दरों और लॉजिस्टिक्स को ध्यान में रखते हुए ही निर्णय लेगा। उन्होंने कहा, “तेल विदेशी मुद्रा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण संसाधन है, इसलिए इसका स्रोत चुनते समय सबसे उपयुक्त विकल्प को प्राथमिकता देंगे।”
निर्मला सीतारमण ने यह भी दोहराया कि भारत के आयात बिल में कच्चे तेल का हिस्सा सबसे अधिक है। उनका बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारत से रूसी तेल आयात पर आरोप लगाते हुए 27 अगस्त से 50 प्रतिशत शुल्क लागू किया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को चेतावनी दी थी कि अमेरिका ने रूस के साथ व्यापार जारी रखने वाले देशों पर “चरण-2” और “चरण-3” शुल्क अभी तक नहीं लगाया है। उन्होंने कहा कि भारत पर लगाए गए ये प्रतिबंध रूस के खिलाफ सीधे कदम हैं और इससे रूस को सैकड़ों अरब डॉलर का नुकसान होगा।
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि जीएसटी जैसे सुधारों से टैरिफ से जुड़ी चिंताओं को कम किया जा सकता है। 50 प्रतिशत टैरिफ का सामना कर रहे उद्योगों को राहत देने के लिए सरकार विभिन्न उपायों का पैकेज लाएगी, जिससे प्रभावित उद्योगों को मदद मिलेगी।