अफगानिस्तान पिछले कई दिनों से भूकंप की तबाही झेल रहा है। शुक्रवार देर रात एक बार फिर झटके महसूस किए गए, जिनकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.0 मापी गई। यह हाल के दिनों में तीसरा बड़ा भूकंप है, जिससे लोगों में दहशत फैल गई है। हालांकि ताज़ा झटकों से किसी बड़े नुकसान या हताहत की सूचना नहीं है।
2200 से ज्यादा मौतें, हजारों बेघर
पिछले रविवार आए भीषण भूकंप से तबाह हुए कुनार प्रांत के पहाड़ी इलाकों से सैकड़ों शव बरामद हुए, जिससे मृतकों की संख्या बढ़कर 2205 हो गई है। अधिकतर लोग मिट्टी और लकड़ी के बने घरों में रहते थे, जो मलबे में दब गए। राहत एजेंसियों का कहना है कि करीब 98% इमारतें क्षतिग्रस्त या ढह चुकी हैं और बचने वालों को तत्काल मदद की आवश्यकता है।
राहत कार्यों में मुश्किलें
भूकंप से कई जगह भूस्खलन हुआ, जिससे गांव कट गए। सहायताकर्मियों को पैदल पहाड़ों से होकर गुजरना पड़ रहा है। तालिबान प्रशासन ने हेलीकॉप्टर और कमांडो भेजकर बचाव कार्य तेज किया है, लेकिन कठिन भौगोलिक हालात और संसाधनों की कमी राहत में बड़ी बाधा बने हुए हैं।
भोजन, पानी और दवाओं की किल्लत
स्थानीय शिविरों में रह रहे लोग खुले आसमान के नीचे गुज़ारा कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र शिविरों में दवाओं, भोजन और पीने के साफ पानी की भारी कमी है। सहायता संगठनों ने चेतावनी दी है कि आर्थिक संसाधनों की कमी से राहत कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय मदद की गुहार
कतर की मंत्री मरियम बिन्त अली अल मिस्नाद हाल ही में काबुल पहुंचीं और पीड़ितों की सहायता व्यवस्था की निगरानी की। वह तालिबान सरकार के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान दौरा करने वाली पहली महिला मंत्री हैं। राहत एजेंसियों का कहना है कि भूकंप ने देश को सूखा, आर्थिक संकट और शरणार्थियों की वापसी से पैदा हालात के बीच एक नई त्रासदी में धकेल दिया है।