चंद्रग्रहण का प्रभाव उत्तराखंड के चारधामों पर भी दिखाई दिया। सूतक काल की शुरुआत होते ही श्री बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर समेत बदरी-केदार मंदिर समिति (BKTC) के सभी छोटे-बड़े मंदिरों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए। मंदिर समिति के अनुसार, ये मंदिर सोमवार 8 सितंबर को सुबह शुद्धिकरण और विशेष पूजा-अर्चना के बाद खोले जाएंगे।
मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, चंद्रग्रहण शुरू होने से लगभग 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। इसी कारण रविवार दोपहर 12:58 बजे मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए। सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त के दौरान सुबह 4 से 4:30 बजे के बीच मंदिर खोले जाएंगे और 5 बजे से श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे।
पिछले पांच दिनों से भारी बारिश और भूस्खलन के कारण बदरी-केदार धाम यात्रा प्रभावित रही थी। रविवार से सरकार के निर्देशानुसार दर्शन शुरू हो गए। बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में 10,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। हालांकि, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा अभी भी बंद है, और हाईवे खोलने का प्रयास जारी है।
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, ग्रहण काल को अशुभ माना जाता है। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद रखे जाते हैं ताकि किसी भी पूजा या अनुष्ठान पर ग्रहण का प्रभाव न पड़े। ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिरों में शुद्धिकरण किया जाता है और फिर श्रद्धालुओं के लिए दर्शन खोले जाते हैं।
इस साल का अंतिम चंद्रग्रहण 7 सितंबर की रात को लगेगा। भारतीय समयानुसार ग्रहण रात 9:57 बजे शुरू होकर अगले दिन 8 सितंबर को सुबह 1:26 बजे समाप्त होगा। ग्रहण का स्पर्श काल रात 11:09 बजे शुरू होगा, मध्यकाल रात 11:42 बजे आएगा और मोक्ष काल रात 12:23 बजे होगा।