नई दिल्ली। डॉलर की बढ़ती मजबूती ने वैश्विक स्तर पर लगभग सभी मुद्राओं पर दबाव बनाया है और रुपया भी इससे अछूता नहीं रहा। शुक्रवार को रुपया गिरकर रिकॉर्ड निचले स्तर 88.27 प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जबकि कारोबार के दौरान यह 88.38 तक लुढ़क गया। हालांकि, रिज़र्व बैंक ने सरकारी बैंकों के जरिए हस्तक्षेप कर तेज गिरावट को थामने की कोशिश की।
इस स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केवल रुपया ही नहीं, बल्कि दुनिया की कई बड़ी मुद्राएं डॉलर के मुकाबले कमजोर हुई हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार रुपये की स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए है।
गिरावट के पीछे वजह
विशेषज्ञों के मुताबिक, रुपये पर सबसे ज्यादा दबाव अमेरिकी नीतियों के कारण है। हाल ही में अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 50% तक का टैरिफ लगाया है। इसके अलावा रूस से कच्चा तेल आयात करने को लेकर 25% अतिरिक्त शुल्क भी जोड़ा गया है। इस कदम से भारत के कपड़ा, चमड़ा, रसायन, मशीनरी, हीरे-जवाहरात और झींगा निर्यात जैसे सेक्टर प्रभावित हुए हैं। हालांकि, दवाइयों, ऊर्जा उत्पादों और इलेक्ट्रॉनिक्स को राहत दी गई है।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंध
भारत और अमेरिका के बीच 2024-25 में 131.8 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ। इसमें भारत का निर्यात 86.5 अरब डॉलर और आयात 45.3 अरब डॉलर रहा। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत-अमेरिका का आर्थिक रिश्ता बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन अनुचित शुल्कों का जवाब दिया जाएगा।
जीएसटी सुधारों पर वित्त मंत्री
सीतारमण ने हाल ही में लागू जीएसटी सुधारों को “जनता के लिए सुधार” बताया। उन्होंने कहा कि आठ साल बाद किए गए इन बदलावों से रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों में कमी आएगी और हर परिवार को सीधी राहत मिलेगी।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई कंपनियां पहले ही कीमतों में कटौती की घोषणा कर चुकी हैं। कार निर्माताओं से लेकर बीमा कंपनियों और जूता-परिधान ब्रांडों ने कीमतें घटाने का ऐलान किया है। वित्त मंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि नई दरों का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचे।