बांग्लादेश में पिछले साल हुए तख्तापलट के बावजूद स्थिति सुधार नहीं पाई है। शेख हसीना के शासन में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला यह देश अब आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। वित्तीय विशेषज्ञ अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से मदद की उम्मीद लगाए हुए हैं।
पाकिस्तान की तरह ही बांग्लादेश भी IMF से कर्ज लेने की कोशिशों में जुटा है। वित्त सलाहकार डॉ. सलाहुद्दीन अहमद ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसियों से अपेक्षित राशि नहीं मिल रही है। उन्होंने बताया कि देश को कम से कम 30 अरब डॉलर की आवश्यकता है, जबकि सरकार IMF से केवल 1–1.5 अरब डॉलर प्राप्त करने की कोशिश कर रही है।
ढाका के अगरगांव स्थित पीकेएसएफ भवन में आयोजित जलवायु प्रशिक्षण कार्यशाला के उद्घाटन में डॉ. अहमद ने बताया कि बांग्लादेश इस समय बढ़ती गर्मी और नदियों तथा समुद्र के जलस्तर के बढ़ने जैसी जलवायु संकट की चुनौतियों से जूझ रहा है। संकट से निपटने के लिए अगले डेढ़ साल में कम से कम 5 अरब डॉलर जुटाना आवश्यक है।
बांग्लादेश ने 2022 में IMF के साथ 4.7 अरब डॉलर का कर्ज समझौता किया था। फरवरी 2023 से जून 2024 तक तीन किस्तों में 2.31 अरब डॉलर मिले, लेकिन शर्तों के पूरा न होने की वजह से चौथी किस्त दिसंबर में जारी नहीं हो पाई। विवाद सुलझने के बाद IMF ने इस साल जून में चौथी और पांचवीं किस्त में 1.33 अरब डॉलर जारी किए। इसके अलावा, सरकार आम लोगों के सहयोग से भी संकट से निपटने के लिए कई कदम उठा रही है।