आज के समय में फूड डिलीवरी ऐप्स से खाना मंगवाना बेहद आम हो गया है, लेकिन हाल ही में सामने आए एक मामले ने कई लोगों को चौंका दिया। दरअसल, एक ग्राहक ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दावा किया कि स्विगी से ऑर्डर किया गया खाना रेस्टोरेंट से सीधे खरीदने की तुलना में करीब 80% महंगा पड़ा।
ग्राहक के मुताबिक, जिस खाने का बिल रेस्टोरेंट में 810 रुपये बना, वही स्विगी पर 1,473 रुपये में आया। उसने सवाल उठाते हुए लिखा कि क्या घर तक डिलीवरी करवाने के लिए 663 रुपये अतिरिक्त देना ही असली सर्विस चार्ज है?
हर डिश पर दिखा बड़ा अंतर
ग्राहक द्वारा साझा किए गए बिल के अनुसार –
- 10 पराठे: रेस्टोरेंट में 180 रुपये, स्विगी पर 350 रुपये
- चिकन 65: रेस्टोरेंट में 150 रुपये, स्विगी पर 240 रुपये
- चिकन लॉलीपॉप: रेस्टोरेंट में 200 रुपये, स्विगी पर 320 रुपये
- चिकन थोक्कू बिरयानी: रेस्टोरेंट में 280 रुपये, स्विगी पर 460 रुपये
इस पर यूजर्स का कहना है कि केवल डिलीवरी चार्ज ही वजह नहीं है, बल्कि रेस्टोरेंट्स और प्लेटफॉर्म पर तय की गई कीमतों में भी अंतर है।
सोशल मीडिया पर बहस
इस मामले पर कई यूजर्स ने प्रतिक्रिया दी। कुछ का कहना है कि बाजार पर पकड़ रखने की वजह से स्विगी और जोमैटो जैसे प्लेटफॉर्म दाम बढ़ा देते हैं। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि कई बार रेस्टोरेंट ही ऑनलाइन मेन्यू की कीमतें ज्यादा रखते हैं, जिस पर डिलीवरी चार्ज और प्लेटफॉर्म फीस भी जुड़ जाती है।
कंपनियों का पक्ष
फूड डिलीवरी ऐप्स का कहना है कि वे खुद कीमतें तय नहीं करते। रेस्टोरेंट्स को ऑनलाइन और ऑफलाइन अलग-अलग रेट रखने की छूट होती है। ऐसे में ऑनलाइन खाने की कीमत ज्यादा हो जाती है, जिस पर डिलीवरी और सर्विस फीस जोड़ने के बाद उपभोक्ताओं का बिल दोगुना तक पहुंच जाता है।