मुजफ्फरनगर। श्री अग्रमलूकपीठ वृंदावन के पीठाधीश्वर राजेंद्रदेवाचार्य ने कहा कि उन्हें पूज्यपाद स्वामी कल्याणदेव महाराज के अनेक बार दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त हुए। उन्होंने बताया कि कलयुग में भागवत को जन-जन तक पहुँचाने में स्वामी कल्याणदेव का विशेष योगदान रहा है। स्वामी महाराज के अथक प्रयासों से भागवत भूमि शुकतीर्थ का जीर्णोद्धार संभव हुआ।
पीठाधीश्वर ने अपने शिष्यों के साथ भागवत पीठ श्री शुकदेव आश्रम का दौरा किया। उन्होंने प्राचीन सिद्ध वटवृक्ष की परिक्रमा की, श्री शुकदेव मंदिर में पूजा अर्चना की और स्वामी कल्याणदेव महाराज की स्मृति गैलरी का अवलोकन कर उनके योगदान को याद किया।
इस अवसर पर राजेंद्रदेवाचार्य ने स्वामी ओमानंद महाराज से भी भेंट की। स्वामी ओमानंद ने उनका स्वागत पुष्पमाला, शाल और भागवत पीठ का पटका पहनाकर किया तथा उन्हें तीर्थ साहित्य और प्रसाद भेंट किया। पीठाधीश्वर ने स्वामी कल्याणदेव अभिनंदन ग्रंथ का अवलोकन भी किया।
राजेंद्रदेवाचार्य ने कहा कि शुकतीर्थ न केवल भागवत और परमहंस श्री शुकदेव जी की भूमि है, बल्कि सनातन संस्कृति के संरक्षण और पुनरुत्थान का महत्वपूर्ण केंद्र भी बन चुका है। वीतराग संत स्वामी कल्याणदेव महाराज ने न केवल शुकतीर्थ का जीर्णोद्धार किया बल्कि शिक्षा क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया, इसलिए उन्हें शिक्षा ऋषि के रूप में सम्मानित किया जाता है।
इस अवसर पर कथाव्यास अचल कृष्ण शास्त्री, आचार्य सुमन, ठाकुर प्रसाद, दीपक कुमार और युवराज भी मौजूद रहे।