नेपाल में जेन-जी आंदोलन से हालात बेकाबू, पर्यटक और भारतीय लौटे देश

काठमांडो/दार्जिलिंग। नेपाल में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ जेन-जी आंदोलन हिंसक हो गया है, जिससे हालात बिगड़ते जा रहे हैं। तनावपूर्ण माहौल के बीच नेपाल में रह रहे भारतीय नागरिक और पर्यटक पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के पानीटंकी बॉर्डर से भारत लौट आए। लौटने वालों ने राहत की सांस लेते हुए कहा कि अब सुरक्षित महसूस हो रहा है।

असम के निवासी कोहिला ने बताया कि नेपाल में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण से बाहर है और हड़ताल करीब 10 से 15 दिन तक चलने की आशंका है। उन्होंने कहा, “भारत लौटकर ऐसा लग रहा है जैसे जिंदगी वापस मिल गई हो।” हालात को देखते हुए बुधवार को भारत-नेपाल सीमा पर हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया। वहीं, काठमांडो स्थित भारतीय दूतावास ने भी भारतीयों से सतर्क रहने और अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलने की अपील की।

विदेश मंत्रालय की एडवाइजरी

विदेश मंत्रालय (MEA) ने नेपाल की मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए भारतीय नागरिकों के लिए यात्रा संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। वहीं, रोजगार संकट के कारण नेपाल से रोजाना लगभग पांच हजार युवा विदेश पलायन कर रहे हैं, जिससे अशांति और गहराती जा रही है।

अस्थिर हालात और पीएम का इस्तीफा

जेन-जी के नेतृत्व में चल रहे प्रदर्शनों के बीच नेपाल की राजनीतिक स्थिति और अस्थिर हो गई है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सरकार अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बने। लगातार बढ़ते विरोध और हिंसा के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया।

विरोध की शुरुआत 8 सितंबर को काठमांडो, पोखरा, बुटवल और बीरगंज सहित कई शहरों से हुई थी। प्रदर्शनकारी न केवल संस्थागत भ्रष्टाचार और पक्षपात खत्म करने की मांग कर रहे हैं, बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए प्रतिबंध को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मानते हुए हटाने की भी मांग कर रहे हैं।

सोशल मीडिया बैन से भड़का आंदोलन

फेसबुक और यूट्यूब समेत 26 सोशल मीडिया साइट्स पर प्रतिबंध के बाद शुरू हुआ यह आंदोलन सोमवार को और तेज हो गया। हालांकि सरकार ने देर रात पाबंदी हटा दी थी, लेकिन मंगलवार को प्रदर्शन और उग्र हो गए।

कर्फ्यू और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने सिंह दरबार (जहां प्रधानमंत्री और मंत्रियों के दफ्तर हैं) को पूरी तरह जला डाला। संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रपति आवास, प्रमुख नेताओं के घरों और राजनीतिक दलों के दफ्तरों में भी आगजनी और तोड़फोड़ हुई। प्रधानमंत्री ओली के निजी निवास, पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड, कई मंत्रियों और नेताओं के घरों को भी निशाना बनाया गया।

अब तक की झड़पों में 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 500 घायल हुए हैं। हालात काबू में करने के लिए काठमांडो समेत कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

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