मुनाफावसूली से टूटा सोना, 1.09 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे आया भाव

भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की संभावनाओं और विदेशी बाजारों में कमजोरी के चलते निवेशकों ने सोने में मुनाफावसूली की। इसके प्रभाव से बुधवार को घरेलू वायदा बाजार में सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर से फिसलकर 1.09 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के नीचे आ गईं।

बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका में अपेक्षा से कमजोर रोजगार आंकड़ों ने वहां की आर्थिक स्थिति को लेकर चिंता बढ़ा दी है। अब निवेशक सप्ताह के अंत में आने वाले मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर निगाह लगाए हुए हैं, जिससे अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों पर रुख स्पष्ट हो सकता है।

एमसीएक्स पर कीमतों में गिरावट
एमसीएक्स पर बुधवार को अक्टूबर डिलीवरी वाले सोने का वायदा 203 रुपये (0.19%) गिरकर 1,08,830 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। इस अनुबंध में 17,442 लॉट का कारोबार हुआ। मंगलवार को यह 1,09,840 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचा था।

इसी तरह, दिसंबर डिलीवरी वाले सोने की कीमत 249 रुपये (0.23%) घटकर 1,09,839 रुपये प्रति 10 ग्राम रही, जिसमें 5,069 लॉट का लेन-देन हुआ। मंगलवार को पहली बार सोना 1.10 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम का स्तर पार कर चुका था।

विदेशी बाजारों और निवेशकों की धारणा का असर
विशेषज्ञों का कहना है कि हालिया तेजी के बाद आई ऊंचाई पर निवेशकों ने मुनाफावसूली की, जिससे सोने की कीमतों पर दबाव पड़ा। विदेशी बाजारों में भी नरमी का रुख देखने को मिला।

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर उम्मीदें
इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में प्रगति हो रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत को लेकर सकारात्मक संकेत दिए। पीएम मोदी ने भी एक्स पर कहा कि भारत और अमेरिका “स्वाभाविक साझेदार” हैं और यह बातचीत साझेदारी की असीम संभावनाओं को उजागर करेगी।

वैश्विक स्तर पर सोने की चाल
कॉमेक्स पर सोना वायदा गिरकर 3,679.02 डॉलर प्रति औंस पर आ गया, जबकि मंगलवार को यह 3,715.20 डॉलर के उच्चतम स्तर पर था। ऑग्मोंट की रिसर्च हेड रेनिशा चैनानी ने बताया कि इस साल अब तक सोने में करीब 40% की बढ़त हो चुकी है, जो 2024 की 27% बढ़त के बाद नई ऊंचाई पर पहुंचा है।

चैनानी के मुताबिक, वैश्विक केंद्रीय बैंकों की नरम मौद्रिक नीतियां, डॉलर की कमजोरी, सोने की मजबूत खरीद और भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं इसकी सुरक्षित निवेश की अपील को और बढ़ा रही हैं। अब निवेशकों की नजर अमेरिकी महंगाई के आंकड़ों पर है, जो आगे कीमतों की दिशा तय करेंगे।

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