उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद क्रॉस वोटिंग की चर्चाओं ने विपक्षी खेमे में असहजता बढ़ा दी है। जहां तृणमूल कांग्रेस ने इसे महज अफवाह बताया है, वहीं कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) ने इस मुद्दे पर सवाल उठाए हैं।
टीएमसी का पलटवार
टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि सरकार को “कुछ वोटों के फेर” पर ध्यान देने के बजाय असली मुद्दों पर जवाब देना चाहिए। उन्होंने गिनाकर बताया कि अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाए 15 दिन हो चुके हैं, मणिपुर हिंसा को 862 दिन, पश्चिम बंगाल की मनरेगा राशि रोके 1282 दिन और लोकसभा में उपसभापति न होने के 2278 दिन बीत चुके हैं।
शिवसेना ने भी उठाए सवाल
शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने चुनाव परिणामों में 15 अवैध वोटों और भाजपा उम्मीदवार को पिछली बार से कम वोट मिलने पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि विपक्ष का वोट शेयर 26% से बढ़कर 40% हो गया है, जो भाजपा के लिए चेतावनी है।
कांग्रेस का निशाना
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि विपक्ष को क्रॉस वोटिंग की समीक्षा करनी चाहिए। उन्होंने सीपी राधाकृष्णन को जीत की बधाई देते हुए कहा कि विपक्ष की बढ़ी हुई हिस्सेदारी पीएम मोदी के लिए खतरे की घंटी है।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी कहा कि यदि क्रॉस वोटिंग हुई है तो इंडिया गठबंधन के हर घटक को गंभीरता से जांच करनी चाहिए, क्योंकि यह बेहद गंभीर मामला है।
भाजपा नेताओं का कहना है कि उनकी जीत में विपक्षी खेमे के वोट भी शामिल हैं। सीपी राधाकृष्णन की अपेक्षा से ज्यादा अंतर की जीत विपक्ष के लिए एक झटका मानी जा रही है।