रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच दो भारतीय युवाओं ने दावा किया है कि उन्हें धोखे से रूसी सेना में भर्ती कर युद्ध क्षेत्र में भेजा गया। युवाओं के अनुसार, इस जाल में कम से कम 15 भारतीय फंसे हुए हैं। यह जानकारी द हिंदू ने दी, जिसके बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह मामले की गहन जानकारी जुटा रहा है और रूस के साथ संपर्क में है।
जम्मू के 22 वर्षीय सुमित शर्मा और पंजाब के गुरसेवक सिंह ने बताया कि रूस के रास्ते वे यूक्रेन के डोनेट्स्क क्षेत्र में पहुंचे। सुमित शर्मा, जो मास्को स्टेट लिंग्विस्टिक यूनिवर्सिटी में अध्ययनरत थे, ने कहा कि उन्हें एक महिला एजेंट ने पार्ट-टाइम नौकरी का भरोसा दिलाया, लेकिन बाद में दस्तखत करवा कर सीधे रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया। बिना किसी सैन्य प्रशिक्षण के अगस्त 2024 में उन्हें यूक्रेन के Selydove इलाके में भेजा गया। सुमित ने बताया कि उन्हें बताया गया कि यह सिर्फ काम है, लेकिन अब उन्हें युद्ध क्षेत्र में रखा गया है और बाहर निकलने की अनुमति नहीं है। उनके कुछ साथी लापता हो गए हैं और कुछ की मौत की खबरें भी मिली हैं।
गुरसेवक सिंह ने कहा कि राजस्थान का एक युवक, जो उनके साथ था, उसे अलग पोस्ट पर भेजा गया और चार दिन से संपर्क नहीं हो पाया। इस प्रकार लगभग 15 भारतीय इस धोखे में फंसे हैं।
इससे पहले अगस्त 2024 में रूसी दूतावास ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा था कि भारतीयों को अब सेना में भर्ती नहीं किया जाएगा। जुलाई 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मास्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यह मुद्दा उठाया था।
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह मामले की जांच कर रहा है और रूस के साथ लगातार संपर्क में है। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि पिछले एक साल में कई बार चेतावनी जारी की गई कि किसी भी नौकरी के लालच में रूसी सेना में भर्ती न हों। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि किसी भी संदिग्ध ऑफर से दूर रहें।