उरई (जालौन)। साल 1994 में बिनौरा बैध गांव में दो सगे भाइयों की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए बसपा के पूर्व विधायक छोटे सिंह चौहान ने गुरुवार को आत्मसमर्पण कर दिया। एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश भारतेंदु सिंह ने उन्हें दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सजा का ऐलान होते ही पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और जेल भेज दिया। कोर्ट के बाहर उनके समर्थकों की भारी भीड़ जमा होने के कारण पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए।
हत्या की पृष्ठभूमि
30 मई 1994 को प्रधान चुनाव और क्षेत्रीय वर्चस्व को लेकर चुर्खी थाना क्षेत्र के बिनौरा बैध गांव में राजकुमार उर्फ राजा भइया और उनके भाई जगदीश शरण की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में सोमवार को ही एमपी-एमएलए कोर्ट ने छोटे सिंह चौहान को दोषी ठहराया था और सजा सुनाने के लिए 11 सितंबर की तारीख तय की गई थी।
पूर्व विधायक का पक्ष
सोशल मीडिया पर छोटे सिंह ने लिखा कि उन्हें राजनैतिक षड्यंत्र में फंसाया गया और वे न्याय व्यवस्था पर भरोसा रखते हैं। उन्होंने अपने समर्थकों को विश्वास दिलाया कि वे हमेशा न्याय के लिए संघर्षरत रहेंगे।
घटनाक्रम
बिनौरा बैध गांव निवासी रामकुमार ने पुलिस को तहरीर दी थी कि 30 मई 1994 को दोपहर में उनके भाई राजकुमार और जगदीश शरण के साथ अन्य लोग घर के बरामदे में बैठकर चर्चा कर रहे थे। इसी दौरान हथियारबंद हमलावर अंदर घुस आए और सभी को घेरकर गोली चलाने लगे। राजकुमार और जगदीश मौके पर ही घायल होकर मृत्युदंड प्राप्त हुए, जबकि एक अन्य व्यक्ति घायल हुआ।
कानूनी प्रक्रिया
पुलिस जांच में छोटे सिंह चौहान सहित अन्य चार लोगों के नाम आए। वर्ष 2007 में बसपा के टिकट पर छोटे सिंह विधायक बने। हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद केस कुछ समय के लिए ठंडा पड़ गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एमपी-एमएलए कोर्ट ने मामले की शीघ्र सुनवाई करते हुए दोषसिद्धि और सजा का निर्णय सुनाया।