हापुड़। गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण और ब्रजघाट को मिनी हरिद्वार की तर्ज पर विकसित करने की योजनाओं ने इलाके की जमीनों की कीमतों को नई ऊंचाई पर पहुँचा दिया है। जमीनों के दाम सर्किल रेट से 7 से 10 गुना तक बढ़ चुके हैं, जिससे किसान अपनी जमीन बेचने को तैयार नहीं हैं। इस कारण औद्योगिक गलियारे समेत कई विकास परियोजनाएं अटक गई हैं।
गढ़ तहसील के 29 गांवों से होकर गुजर रहे गंगा एक्सप्रेसवे ने क्षेत्र की रियल एस्टेट तस्वीर बदल दी है। तीर्थ नगरी और आसपास के गांवों में जमीन अब बीघा नहीं, बल्कि प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से बेची जा रही है।
योजनाओं के लिए प्रस्तावित जमीनों में गढ़ क्षेत्र में हेलीपैड, तीर्थ नगरी में पर्यटन भवन, शंकराटीला के पास यात्री प्लाजा और सदरपुर-जखैड़ा इलाके में लगभग 245 हेक्टेयर में औद्योगिक गलियारा शामिल है। हालांकि जमीन की ऊँची कीमतें प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई हैं।
अब तक औद्योगिक गलियारे के लिए केवल 35 हेक्टेयर जमीन खरीदी जा सकी है। जबकि सरकार सर्किल रेट से अधिकतम चार गुना तक का ही मूल्य देती है, किसान 10 गुना तक दाम मांग रहे हैं। नतीजा यह है कि विकास की कई योजनाएं अधर में लटकी पड़ी हैं।
स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर ये योजनाएं समय पर पूरी हो गईं तो युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और एनसीआर के शहरों में काम करने जाने वाले हजारों युवाओं को बड़ी राहत मिलेगी।