मेरठ के विक्टोरिया पार्क में गुरुवार को जगद्गुरु श्रीरामभद्राचार्य की कथा से पहले चरण पादुका पूजन हुआ। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज हिंदू समाज कठिन दौर से गुजर रहा है। अपने ही देश में हिंदू धर्म को वह स्थान और सम्मान नहीं मिल पा रहा, जिसकी उसे आवश्यकता है। उन्होंने टिप्पणी की कि उत्तर प्रदेश की स्थिति चिंताजनक है और अब समय आ गया है कि हर घर में धर्म शिक्षा की पाठशालाएं शुरू हों। माता-पिता को अपने बच्चों को सनातन धर्म की शिक्षा देनी चाहिए।
जगद्गुरु ने कहा कि सनातन और हिंदू धर्म एक ही हैं, जिसका मूल भाव “वसुधैव कुटुंबकम्” है। उन्होंने दो टूक कहा कि हम किसी पर हमला नहीं करेंगे, लेकिन यदि कोई छेड़ेगा तो छोड़ेंगे भी नहीं। “ऑपरेशन सिंदूर” का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि निर्दोष हिंदुओं की हत्या अस्वीकार्य है और ऐसे कृत्य करने वालों के खिलाफ सख्ती जरूरी है।
उन्होंने श्रद्धालुओं को संदेश देते हुए कहा कि प्रत्येक हिंदू परिवार में तीन संतानें अवश्य होनी चाहिएं। जम्मू-कश्मीर में धर्म के आधार पर हुए हमलों का जिक्र करते हुए उन्होंने पड़ोसी देश को चेतावनी भी दी।
जगद्गुरु ने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति को समझने के लिए संस्कृत का अध्ययन अनिवार्य है। संस्कारों के लिए मातृभाषा और प्राचीन भाषा ही आधार है, अंग्रेजी शिक्षा से यह नहीं मिल सकता। इसी दिशा में चित्रकूट में श्रीराम नवमी के अवसर पर संस्कृत संस्कृति गुरुकुलम शुरू किया जाएगा, जिसमें 300 विद्यार्थियों को संस्कृत की शिक्षा दी जाएगी और ऑनलाइन क्लास भी होंगी।
मनुस्मृति का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह ग्रंथ सदैव भारत की एकता और नारी सम्मान का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि नई संसद के उद्घाटन पर महिलाओं को 33% आरक्षण देकर केंद्र सरकार ने भी नारी शक्ति का सम्मान किया है।
उन्होंने भक्तों से आह्वान किया कि निंदा से दूर रहकर भगवान का स्मरण करें। भगवान राम और शिव दोनों अपने भक्तों को वरदान देते हैं, लेकिन राघवजी सदैव भक्त का मान और गौरव बढ़ाने वाला आशीर्वाद ही देते हैं।