आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के तुराकापालेम गांव में पिछले कुछ महीनों से एक रहस्यमयी बीमारी ने दहशत फैला दी है। इस बीमारी से अब तक करीब 30 लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन इसके कारणों का अभी तक सही पता नहीं चल पाया है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार गांव में मेडिकल जांच कर रही हैं, वहीं स्थानीय लोग अपनी मान्यताओं के अनुसार विशेष पूजा-पाठ भी कर रहे हैं।
मेडिकल जांच से चौंकाने वाले नतीजे
पिछले दस दिनों से गांव में स्वास्थ्य विभाग ने शिविर लगाए हुए हैं। राष्ट्रीय और राज्य स्तर के अधिकारी घर-घर जाकर 18 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों का स्वास्थ्य रिकॉर्ड बना रहे हैं। गांव की कुल 2,517 आबादी में से अब तक 1,343 लोगों की जांच की गई है। इसमें पाया गया कि 1,026 ग्रामीणों की किडनियां प्रभावित हैं, जबकि 168 लोगों को लीवर की समस्या है। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग ब्लड प्रेशर और डायबिटीज से भी जूझ रहे हैं। डॉक्टरों का मानना है कि ये समस्याएं मेलियोइडोसिस नामक बीमारी से जुड़ी हो सकती हैं।
पूजा-अर्चना से राहत की कोशिश
गांव में स्वास्थ्य विभाग जहां लगातार कारण खोजने में जुटा है, वहीं ग्रामीण मान्यताओं के आधार पर ‘बोडराई’ की पूजा कर रहे हैं। उनका विश्वास है कि बोडराई और गांव के प्रवेश द्वार पर स्थित पत्थर की गड़बड़ी के कारण बीमारियां फैल रही हैं। इसी वजह से 1 सितंबर को विशेष पूजा और जलाभिषेक किया गया। पहले 108 स्थानों पर जल चढ़ाया गया, इसके बाद 501 स्थानों पर अभिषेक संपन्न हुआ।
सरकार की सख्त पहल
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने 8 सितंबर को तुराकापालेम में स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया। इसके साथ ही विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम को जांच और इलाज के लिए गांव भेजा गया। फिलहाल मेडिकल रिपोर्ट में आधे से ज्यादा ग्रामीणों के किडनी संबंधी रोग सामने आ रहे हैं, जिससे स्थिति और चिंताजनक हो गई है।