ठाणे की एक अदालत ने 2015 में दिवा रेलवे स्टेशन पर हुए दंगे के मामले में लंबी सुनवाई के बाद सभी 17 आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया है। यह फैसला अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वसुधा एल. भोसले ने 8 सितंबर को सुनाया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों की पहचान और उनके खिलाफ ठोस सबूत पेश करने में नाकाम रहा।
2 जनवरी 2015 को हुई इस घटना में पुलिसकर्मियों को चोटें आई थीं और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। पुलिस की एफआईआर में 19 लोगों को नामजद किया गया था, जिनमें से दो की मुकदमे के दौरान ही मौत हो गई थी।
न्यायाधीश ने फैसले में स्पष्ट किया कि न तो गवाहों ने किसी आरोपी की पहचान की और न ही किसी पर व्यक्तिगत रूप से अपराध का आरोप सिद्ध हुआ। गवाहियों का आधार केवल भीड़ पर था, जबकि कानून के अनुसार जिम्मेदारी व्यक्तिगत रूप से तय होनी चाहिए। अधिकांश गवाह पुलिसकर्मी थे, जबकि यात्रियों, दुकानदारों या रेलवे कर्मचारियों को गवाही के लिए नहीं बुलाया गया।
अदालत ने कहा कि पंचनामा और वीडियो साक्ष्य में खामियां पाई गईं, संपत्ति का मूल्यांकन विशेषज्ञों से नहीं कराया गया और एफआईआर दर्ज करने में हुई देरी का भी कोई कारण नहीं बताया गया। मेडिकल रिपोर्ट में पुलिस अधिकारियों की चोटें सामान्य बताई गई थीं।
न्यायालय ने माना कि न तो पत्थरबाजी का कोई स्वतंत्र गवाह था और न ही मेडिकल रिपोर्ट ने इन आरोपों की पुष्टि की। जांच में गंभीर कमियों और पहचान की विफलता को देखते हुए अदालत ने 38 से 56 वर्ष आयु के सभी 17 आरोपियों को बरी कर दिया।