पिछले कुछ वर्षों में सोने की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। निवेशकों को रिटर्न देने के मामले में गोल्ड ने शेयर बाजार को भी पीछे छोड़ दिया है। पिछले बीस वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि सोने ने औसतन हर अवधि में सेंसेक्स से बेहतर प्रदर्शन किया है।
एक साल में 50% से ज्यादा रिटर्न
पिछले एक वर्ष में सोने ने निवेशकों को 50.1% का रिटर्न दिया है, जबकि सेंसेक्स 1.2% गिरा है। विशेषज्ञों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर सेंट्रल बैंकों की ओर से लगातार खरीदारी, ट्रंप टैरिफ और भू-राजनीतिक तनाव जैसे कारणों ने सोने की कीमतों को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचाया। एनएम होल्डिंग्स के निवेश निदेशक श्रीधर शिवराम का कहना है कि लगभग 25% खरीदारी सिर्फ सेंट्रल बैंकों की ओर से की जाती है।
लंबी अवधि में भी गोल्ड का दबदबा
3, 5, 10 और 20 साल की अवधि में भी गोल्ड ने सेंसेक्स से बेहतर रिटर्न दिया है। 3 साल में सोने का औसत रिटर्न 29.7% रहा, जबकि सेंसेक्स ने 10.7% दिया। 5 साल में गोल्ड ने 16.5% और सेंसेक्स ने 16.1% का रिटर्न दिया। 10 साल में सोना 15.4% और सेंसेक्स 12.2% रहा। वहीं 20 साल की अवधि में भी गोल्ड का रिटर्न 15.2% रहा, जो सेंसेक्स से ज्यादा है।
विशेषज्ञों की राय
वेंचुरा सिक्योरिटीज के एनएस रामास्वामी का कहना है कि सोना केवल मुद्रास्फीति से बचाव का जरिया नहीं है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर कटौती और वैश्विक अनिश्चितताओं से सोने की मजबूती बनी रहेगी। हालांकि जानकारों का मानना है कि पिछले वर्ष जैसी तेजी आगे देखने को नहीं मिलेगी। फिर भी, निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो का 10-15% हिस्सा सोने में रखना चाहिए।
गोल्ड-सेंसेक्स रेश्यो
एडलवाइस म्यूचुअल फंड के विश्लेषण के अनुसार, जब गोल्ड-सेंसेक्स रेश्यो 1 से ऊपर जाता है तो सोना बेहतर प्रदर्शन करता है। फिलहाल यह अनुपात 0.76 है, जो लंबे समय के औसत 0.96 से कम है। अतीत में जब यह स्तर 0.8 से नीचे रहा है, तो तीन सालों में सेंसेक्स ने औसतन 25% से ज्यादा रिटर्न दिया है।