सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने गुजरात के जामनगर स्थित वन्यजीव संरक्षण और पुनर्वास केंद्र वंतारा को बड़ी राहत दी है। एसआईटी ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा कि वंतारा में नियमों और नियामक प्रावधानों का सही तरीके से पालन किया जा रहा है। जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस पी.बी. वराले की पीठ ने सोमवार को एसआईटी की रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया और कहा कि अधिकारियों ने अनुपालन और प्रबंधन को लेकर संतोष व्यक्त किया है।
क्या थे आरोप?
वंतारा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं। इनमें आरोप लगाया गया था कि यहां वन्यजीव कानूनों का पालन नहीं हो रहा और विदेशों से हाथियों समेत कई जानवरों की अवैध खरीद की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स और याचिकाओं के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त को एसआईटी का गठन किया था। इसकी अध्यक्षता जस्टिस जे. चेलमेश्वर को सौंपी गई थी।
याचिकाओं में उठाए गए मुद्दे
याचिकाओं में आरोप था कि वंतारा में हाथियों, पक्षियों और अन्य संरक्षित प्रजातियों की तस्करी कर उन्हें पुनर्वास और संरक्षण के नाम पर लाया गया। इसके अलावा जलवायु अनुकूलता, औद्योगिक क्षेत्र की निकटता, वित्तीय अनियमितताओं और कार्बन क्रेडिट के दुरुपयोग जैसे मुद्दे भी उठाए गए थे।
एसआईटी ने किन पहलुओं की जांच की?
- भारत और विदेश से जानवरों (खासकर हाथियों) का अधिग्रहण।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और चिड़ियाघरों से जुड़े नियमों का अनुपालन।
- सीआईटीईएस और अन्य आयात-निर्यात कानूनों का पालन।
- पशुपालन, चिकित्सा देखभाल और पशु कल्याण के मानक।
- वैनिटी कलेक्शन, प्रजनन व संरक्षण कार्यक्रमों की पारदर्शिता।
- जल और कार्बन क्रेडिट से जुड़े दुरुपयोग के आरोप।
- वित्तीय प्रबंधन और धन शोधन से संबंधित शिकायतें।
एसआईटी ने सभी बिंदुओं पर जांच कर अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी और कहा कि वंतारा ने जरूरी प्रावधानों का पालन किया है। कोर्ट ने फिलहाल विस्तृत आदेश सुरक्षित रखा है।